6 April 2013

SELF TRANSFORMATION

परिशोधन का अर्थ है -मन की पवित्रता तथा अंत:करण को दुर्भावनाओं से रहित करना | भीतरी पवित्रता का उद्देश्य यदि पूरा नहीं हुआ तो बाह्य कर्मकांडो का कुछ विशेष लाभ नहीं मिल पाता |
एक संत अपने शिष्यों के साथ गंगा किनारे बैठे हुए थे | उनसे थोड़ी दूर एक व्यक्ति गंगा स्नान कर रहा था | उसने बहुत देर गंगा स्नान किया फिर भजन किया और उसके बाद किनारे बैठकर भोजन करने लगा | उसी समय एक अपंग व्यक्ति उसके पास आकर भोजन की याचना करने लगा | उसे कुछ देने के बजाय वो व्यक्ति उस अपंग को गालियाँ देने लगा और अपने पास से हटाने के लिये धक्का भी देने लगा | यह देखकर संत अपने शिष्यों से बोले -"गंगास्नान का पुण्य तो बहुत देखा था .पर आज पाप भी देख लिया ।"संत ने शिष्यों से कहा -"केवल बाहर से शरीर साफ कर लेने से मन पर चढ़ा मैल दूर नहीं होता | जिसके ह्रदय में दीन -दुखियों के लिये करुणा नहीं ,संवेदना नहीं ,वो लाख प्रयत्न कर ले ,पर उसे पुण्य नहीं ,केवल पाप का भागी बनना पड़ेगा | अध्यात्म का सार बाह्य क्रिया -कलापों में नहीं ,वरन आंतरिक परिष्कार में है | 

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