16 July 2013

SIMPLICITY

भगवान श्रीराम नवधा भक्ति के अंतर्गत अंत में शबरी को उपदेश देते हैं कि सरलता ,सबके साथ कपटरहित (छलहीन )व्यवहार ही मेरी भक्ति है | भक्त निश्छल एवं शिशुवत सरल होता है |
    कबीर एक बार यात्रा करते -करते अरब तक हो आये | चोरों ने उन्हें पकड़ लिया औरउनसे  सामान ढुलवाने का कार्य कराने लगे | एक बार चोर उन्हें अपने साथ एक धनी के यहां चोरी करने ले गये | सामान बंधने लगा तो कबीर ने घर के मालिक को जगाकर कहा कि देख लो भाई !इतना सामान लिये जा रहे हैं | बाद में मत कहना कि बताया नहीं था ,हम किसी से कपट नहीं कर सकते | चोर घबराकर भाग गये | कबीर मुक्त हो गये | 

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