'जीवन का एक पक्ष संघर्ष भी है | भीतर के कुविचार और बाहर के अनाचार ऐसे हैं ,जिन्हें बिना लड़े निरस्त नहीं किया जा सकता | '
धर्म और शक्ति दोनों में श्रेष्ठ कौन है ?
धर्म ही सर्वश्रेष्ठ है , धर्म सदा विजयी होता है | धर्म शक्ति को सिरे से नकार देता है | धर्म शक्ति को मान्यता ही नहीं देता , वह तो नीति और सदाचार को मान्यता देता है |
भगवान राम इतने शक्ति संपन्न नहीं थे , जितना कि रावण व उसकी सेना | रावण की सेना में अनेक प्रचंड योद्धा थे , मेघनाद अविजित एवं अपराजित था | इसी प्रकार कौरव सेना में भीष्म पितामह , द्रोणाचार्य , कर्ण आदि ऐसे प्रबल योद्धा थे , जो अकेले दम पर पांडव सेना को परास्त कर सकते थे | किंतु इन योद्धाओं का अवसान एवं पराजय हुई क्योंकि ये शक्ति के पुजारी थे , धर्म के नहीं | दूसरी ओर कमजोर समझी जाने वाली राम एवं पांडवों की सेना को जीत का श्रेय मिला , वह इसलिये क्योंकि उनके साथ धर्म था |
व्यक्ति को केवल धर्म के मार्ग पर अडिग , अविचलित डटे रहना चाहिये , कभी भी धर्म के मार्ग से विचलित नहीं होना चाहिये | यदि ऐसा हो सका तो धर्म ढाल बनकर रक्षा करता है , सुरक्षा एवं संरक्षण प्रदान करता है |
धर्म और शक्ति दोनों में श्रेष्ठ कौन है ?
धर्म ही सर्वश्रेष्ठ है , धर्म सदा विजयी होता है | धर्म शक्ति को सिरे से नकार देता है | धर्म शक्ति को मान्यता ही नहीं देता , वह तो नीति और सदाचार को मान्यता देता है |
भगवान राम इतने शक्ति संपन्न नहीं थे , जितना कि रावण व उसकी सेना | रावण की सेना में अनेक प्रचंड योद्धा थे , मेघनाद अविजित एवं अपराजित था | इसी प्रकार कौरव सेना में भीष्म पितामह , द्रोणाचार्य , कर्ण आदि ऐसे प्रबल योद्धा थे , जो अकेले दम पर पांडव सेना को परास्त कर सकते थे | किंतु इन योद्धाओं का अवसान एवं पराजय हुई क्योंकि ये शक्ति के पुजारी थे , धर्म के नहीं | दूसरी ओर कमजोर समझी जाने वाली राम एवं पांडवों की सेना को जीत का श्रेय मिला , वह इसलिये क्योंकि उनके साथ धर्म था |
व्यक्ति को केवल धर्म के मार्ग पर अडिग , अविचलित डटे रहना चाहिये , कभी भी धर्म के मार्ग से विचलित नहीं होना चाहिये | यदि ऐसा हो सका तो धर्म ढाल बनकर रक्षा करता है , सुरक्षा एवं संरक्षण प्रदान करता है |
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