21 February 2019

WISDOM ------ मोह से दुर्गति

मनुष्य  अपना  जीवन  लालच  और   तृष्णा   में ,  धन  एकत्र  करने  में  गँवा  देता  है   l  ईश्वर  का  नाम  लेने , सत्साहित्य  का  अध्ययन  करने  और  परोपकार  करने  के  लिए  उसके  पास  समय  नहीं  होता  l  ऐसी  तृष्णा  से  व्यक्ति    की    कैसी  गति  होती  है   उसे  समझाने  के  लिए  एक  पौराणिक  कथा  है -----
 एक  आदमी  बूढ़ा  हुआ  तो   नारदजी  उसके  पास  आये  और  उससे  कहा  कि  भगवान  को  याद  कर  लो  !  इतना  समय  ऐसे  ही  बीत  गया  l  बूढ़े  ने  कहा --- " व्यापार    ठिकाने  लग  जाये  , बच्चे  संभल  जाएँ ,  नाती - पोते  देख  लें  फिर  भगवान  को  याद  करेंगे  l  ""  मृत्यु  आई  और  वह  चल  बसा  l   कंजूस  था  , परोपकार  किया  नहीं  ,  बैल  की  तरह  श्रम  किया  तो  अगले  जन्म  में  बैल  बना  l   मोह  के  कारण     अपने    बच्चों  की  जमीन   पर  ही  खूब  काम  करता  l  नारदजी  ने  समझाया  -- भगवान  को  याद  कर  लो , इस  बैल  की  योनि  से  मुक्त  हो  जाओगे  l  वह  बोला  --- बच्चों  के  लिए  ही  तो काम  कर  रहे  हैं  l
  अब  मरे  तो  कुत्ते  की  योनि  मिली  l   अब  भी  बेटों  के  यहाँ  गए  l  घर  की  रक्षा  करते  l   नारदजी  फिर  गए  और  कहा  -- तुम्हे  मोह  से  कब  मुक्ति  मिलेगी  ,  अब  तो  भगवान  को  याद  कर  लो  l  कुत्ता  बोला  -- नाती - पोते  बड़े  हो  जाएँ ,  इनका  घर  बस  जाये  l "  अब  उसे  मरने  के  बाद  सांप  की  योनी  मिली  l  अब  वह  अपने  द्वारा  गाड़े  गए  खजाने  की  रक्षा  करने  लगा  l  बच्चों  को  खजाने  का  पता  चला   तो  उन्होंने  लाठी  से  सांप  को  मार  डाला  और  खजाने  पर  अधिकार कर  लिया  l
   नारदजी  ने  उस  आत्मा  से कहा --- "  देख  लिया  !  तुम  इन्हीं  के  लिए सब  कुछ  करते  थे  न  l "
आत्मा  बोली --- " आप  सही  कहते  हैं ,  हमारे  मोह  ने  हमारी  दुर्गति  की  "
पुराणों  की  ये   कथाएं  हमें  होश  में  लाने  के  लिए  हैं  कि  हम  यह  ख्याल  रखें  कि   परमात्मा  हर  पल  हमारे  साथ  है ,  हमें  देख  रहा  है   इसलिए  ईमानदारी  से  कर्तव्य  पालन  करें ,  बेईमानी  और  भ्रष्टाचार  छोड़कर  सन्मार्ग  पर  चलें  l  

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