सभी चिंतक - विचारक , संत - दार्शनिक , तपस्वी - सुधारक मानवता के मूलभूत सिद्धांतों को धारण करने वाले तत्व को धर्म कहकर पुकारते हैं l पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी कहा करते थे ---- "सच्चा धार्मिक एक अव्यक्त भाषा बोलता है , जिसे संसार का हर व्यक्ति समझ सकता है l यह वाणी उसके अंत:करण से भाव -संवेदनाओं के रूप में प्रस्फुटित होती है l विश्व उसका परिवार और संसार का प्रत्येक व्यक्ति उसका अपना संबंधी होता है l सबका कल्याण करना ही उसकी पूजा बन जाता है और इसलिए महात्मा गाँधी हों या विनोबा , मार्टिन लूथर किंग हों या कागाबा , संत फ्रांसिस हों या हजरत मुहम्मद , भगवान बुद्ध हों या आचार्य शंकर ----- ये सभी अपने अंत:करण में व्याप्त करुणा तथा मानवता के मूलभूत सिद्धांतों को जीने के कारण सच्चे अर्थों में धार्मिक कहे जा सकते हैं l यही धर्म का सच्चा स्वरुप है l '
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