16 April 2022

WISDOM --------

   एक  बार  माता  सीता  ने   हनुमान जी  से  प्रसन्न  होकर   उन्हें  हीरों  का  एक  हार  दिया  l   कुछ  समय  पश्चात्  सीताजी  ने  देखा   कि  हनुमान जी  ने  प्रत्येक  हीरे   को  माला  से  अलग  कर  दिया   और  उन्हें  चबा - चबाकर   जमीन   पर  फेंकते  जा  रहे  हैं  l   यह  देख  माता  सीता  को  बहुत  क्रोध  आ  गया   उन्होंने  कहा ---- ' इतना  बेशकीमती  हार  तुमने  नोच - खसोटकर  नष्ट  कर  दिया   l   यह  सुन  हनुमान जी  बोले --- " माते  !  मैं  तो  केवल  इन  रत्नों  को   खोलकर  यह  देखना  चाहता  था  कि   इनमे  मेरे  आराध्य  प्रभु  राम   और  माँ  सीता   बसते   हैं  अथवा  नहीं  l   आप  दोनों  के  बिना   इन  पत्थरों  का  मेरे  लिए  क्या  मोल  है  l  "  हनुमानजी  के  भक्तिपूर्ण  वचनों  को  सुनकर  सीताजी  का  हृदय  द्रवित  हो  गया   और  उन्होंने  अपना  वरदहस्त  उनके  मस्तक  पर  रख  दिया   l 

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