27 October 2022

WISDOM ----

   एक  बार  एक  अपराधी  पकड़ा  गया  , उसे  फाँसी  की  सजा  मिली  l  फाँसी  की  कोठरी  में  जाने  से  पूर्व  , वह  राजा  को  बुरी -बुरी  गाली  और  दुर्वचन  कहने  लगा  l  वह  विदेशी  था  , उसकी  भाषा  को   सभा  के  एक -दो  सरदार  ही  जानते  थे  l   राजा  ने  विदेशी  भाषा  जानने  वाले  एक  सरदार  से  पूछा  --- " यह  अपराधी  क्या  कह  रहा  है  ? "  उसने  उत्तर  दिया  --- " आपकी  प्रशंसा  करते  हुए  ,  अपनी  दीनता  बताता  हुआ  ,  यह  दया  की  प्रार्थना  कर  रहा  है  l "  इतने  में  दूसरा  सरदार  उठ  खड़ा  हुआ  ,  उसने  कहा --- " नहीं  सरकार  !  यह  झूठ  बोलता  है  l  अपराधी  ने  आपको  गाली  दी  है  और  दुर्वचन  बोले  हैं  l  राजा  तो  विदेशी  भाषा  जानता  न  था   और  कोई  तीसरा  आदमी  फैसला  करने  वाला  नहीं  था  l  इसलिए  सत्य  का  कैसे  पता  चले  ?  राजा  ने  स्वयं  विचार  किया   और  पहले  सरदार  को  ही  सत्यवादी  कहा   तथा  अपराधी  की  सजा  कम  कर  दी   l  दूसरे  सरदार  से  राजा  ने  कहा --- "  चाहे  तुम्हारी  बात  सत्य  अवश्य  ही  हो  ,  पर  उसका  परिणाम  दूसरों  को  कष्ट  मिलना   तथा  हमारा  क्रोध  बढ़ाना  है  ,  इसलिए  वह  सत्य  होते  हुए  भी  असत्य  जैसी  है  l     और  इस  पहले  सरदार  ने   चाहे  असत्य  ही  कहा  हो  ,  पर  उसके  फलस्वरूप   एक  व्यक्ति  के  जीवन  की  रक्षा  होती  है   तथा  हमारे  ह्रदय  में  दया  उपजती  है   , इसलिए  वह  सत्य  के  ही  समान  है  l "  

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