19 September 2023

WISDOM ----

  प्रकृति  में  क्षमा  का  प्रावधान  नहीं  है  l   यहाँ  कर्मफल  का  नियम  लागू  होता  है  l  जो  जैसे  कर्म  करता  है  ,  वैसा  ही  फल  उसे  प्राप्त  होता  है  l  कर्म  करने  के  लिए  व्यक्ति  स्वतंत्र  है   ,  उस  कर्म  का  परिणाम  कब  और  कैसे  मिलेगा  यह  काल  निश्चित  करता  है  l  जो  ईश्वरीय  विधान  को  नहीं  मानते  ,  संसार  में  जो  व्यस्था  चल  रही  है  उसे  ही  सत्य  मानते  हैं   कि  जी  भर  के  गलत  काम  करो ,  लोगों  का  हक  छीनों,  छल  ,कपट , षड्यंत्र  रचो  , धोखा  दो , लोगों  को  उत्पीड़ित  करो   और    सॉरी  बोलकर  सब  पापों  से  मुक्त  हो  जाओ  l  ऐसा  सोचना  मनुष्य  की  भूल  है  l  कर्म  का  फल  तुरंत  नहीं  मिलता   क्योंकि  प्रत्येक  व्यक्ति  अपने  जीवन  में  कुछ -न -कुछ  पुण्य  भी  करता  है  ,  उसके  पिछले  जन्मों  के  भी  संचित  पुण्य  होते  हैं  l  निरंतर  पापकर्म  करने  से  इन  संचित  पुण्यों  का  भंडार  समाप्त  होने  लगता  है   और  जैसे  ही  पुण्यों  का  भंडार  समाप्त  हुआ  ,  उसे  उसके  पापों  का  फल  मिलना  शुरू  हो  जाता  है  l  अपने  पाप  कर्मों  से  छिपकर  व्यक्ति  सात  समुद्र   पार   या  दुनिया  के  किसी  भी  कोने  में  चला  जाये   उसके  कर्म  उसे  वैसे  ही  ढूंढ  लेते  हैं  जैसे  बछड़ा  हजारों  गायों  में  अपनी  माँ  को  पहचान  लेता  है   l  आचार्य श्री  कहते  हैं --- आचार्य श्री  कहते  हैं ---- पिछले   जन्मों  का  जो  कुछ  बीत  गया  उस  पर  हमारा  वश  नहीं  है  l  हमारे  हाथ  में  वर्तमान  है  ,  इस  जन्म  में  सत्कर्म  कर  के  हम  अपने  पिछले   पापों  को  कुछ  काट  सकते  है  , उनकी  तीव्रता  को  कम  कर  सकते  हैं   और  अपने  सुनहरे  भविष्य  का  निर्माण   कर  सकते  हैं  l 

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