21 September 2023

WISDOM------

 मनुष्य  यदि  ज्ञान  का  सदुपयोग  करता  है  तो  उससे  संसार  का  कल्याण  होता  है   लेकिन  दुर्बुद्धि  और  अहंकार  के  कारण  जब  वह  अपने  ज्ञान  का  दुरूपयोग  करने  लगता  है   तो  उससे   हानि  कई  गुना  अधिक  होती  है  l  आज  संसार  में  जितनी  भी  समस्याएं  हैं  वे  सब  ज्ञान  और  शक्ति  के  दुरूपयोग  के  कारण  ही  हैं  l  ज्ञान  और  शक्ति  का  दुरूपयोग  करने  वाले  आसुरी  प्रवृत्ति  के  होते  हैं  l  इनका  अंत  करने  ईश्वर  को  स्वयं  ही  आना  पड़ता  है  l  रावण  बहुत  ज्ञानी , वेद ,   शास्त्रों  का  ज्ञाता  था  ,  इसके  साथ  ही  वो  तंत्र  विद्या  का  भी  बहुत  बड़ा  ज्ञाता  था ,  मायावी  था  l  इसी  शक्ति  के  बल  पर  उसका  दसों  दिशाओं  में  आतंक  था  l   ऋषियों    को  सताना , उनके  यज्ञ , हवन  आदि  को  नष्ट  करना   ही  उसका  स्वभाव  था  l  राम -रावण  का  युद्ध  हुआ ,  रावण  का  पूरा  कुनबा  समाप्त  हो  गया    लेकिन  असुरता  समाप्त  नहीं  हुई  क्योंकि   यह  एक  प्रवृत्ति  है , एक  विचारधारा  है   जो  आज  मानव  समाज  में   व्यापक   रूप  से  विद्यमान  है  l  तंत्र  आदि  विभिन्न  नकारात्मक  क्रियाओं  को  चाहे  कानून  मान्यता  न  दे  ,  लेकिन  आसुरी  प्रवृत्ति  के  लोग   इनका  प्रयोग  अपने  अहंकार  की  तुष्टि  के  लिए , दूसरों  को  सता कर  अपना  मनोरंजन  करने  के  लिए  करते  हैं  l   तंत्र  का  प्रयोग  संसार  के  कल्याण  के  लिए  भी  हो  सकता  है  लेकिन  जब  विचारों  में  रावण  हो   तो   वह  अपने  साथ  दूसरों  का  भी  अहित  करता  है   l  इन  नकारात्मक  क्रियाओं  का  प्रयोग  बहुत  सोच विचार  कर  योजनाबद्ध  तरीके  से  लोगों  की  पीठ  पर  वार  करने  के  लिए  किया  जाता  है  l  इनसे  पीड़ित  व्यक्ति  परेशान  भी  होता  है ,  अपने  भाग्य  को  कोसता  है   क्योंकि  अपराधी  का  पता  ही  नहीं  कि  कौन   है  ?   समाज  में  अपने  को  सज्जन  ,   संस्कारी   और  सभ्रांत  दिखाने  के  लिए  लोग  छुपकर   ऐसी  नकारात्मक  क्रियाएं  करते  हैं  l   इसके  परिणाम  बहुत  घातक  होते  हैं  , इनसे  वैचारिक   प्रदूषण  होता  है  ,  प्रकृति  को  बहुत  कष्ट  होता  है  ,  समाज  में  मनोरोग , आत्महत्या  की  प्रवृत्ति,  आकस्मिक  दुर्घटनाएं  , पागलपन  , अकाल  मृत्यु  , निराशा   बढ़  जाती  हैं  l  जो  भी  कुछ  इस  पृथ्वी  के  अस्तित्व  के  लिए  घातक  है  उसे  ईश्वर  मनुष्य  की  पहुँच  से  दूर  रखता  है   लेकिन  मनुष्य  अपनी  बुद्धि  का   दुरूपयोग  कर , अपने  अहंकार  का  पोषण  करने  के  लिए  और  स्वयं  भगवान  बनने  के  लिए  उसे   -पृथ्वी   पर  ले  आता  है   जैसे    अणुबम  बनाने  के  लिए  जिस  खनिज  की  जरुरत  है    उसे  ईश्वर  ने   बहुत  गहराई  में  छुपाकर  रखा  है   ताकि  हमारी  धरती  सुरक्षित  रहे   लेकिन  मनुष्य  उसे   खींचकर  पृथ्वी  पर  ले  आया  और   मानव  सभ्यता  के  अस्तित्व  पर  संकट  उपस्थित  कर  दिया  l  इसी  तरह  नकारात्मक  क्रियाओं  के  लिए    आसानी  से  दिखाई  न  देने  वाले  नकारात्मक  तत्वों  पर पर  अपना  नियंत्रण  कर  के   मनुष्य   स्वयं  अपने  लिए  और  समाज  के  लिए  कष्टकारी   वातावरण    का  निर्माण  करते  हैं  l  पहले  तो  एक  ही  रावण  था   लेकिन  अब  क्या  कहे  ------?   पं.  श्रीराम  शर्मा  आचार्य  जी  ने  कहा  है  --- कलियुग  की  सबसे  बड़ी  समस्या  दुर्बुद्धि  है   इसलिए  हम  सब  को  सद्बुद्धि  के  लिए  गायत्री  मन्त्र  अवश्य  जपना  चाहिए  l l  गायत्री  मन्त्र  और  महा मृत्युंजय  मन्त्र   से  प्रकृति  को  पोषण  मिलता  है   l  

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