25 February 2024

WISDOM ----

   दरभंगा  में   शंकर  मिश्र  नमक  बहुत  बड़े  विद्वान्   थे  l  जब  वे  छोटे  थे  तो   किसी  कारण  से   माँ  का  दूध  न  मिल  पाने  के  कारण   धाय  रखनी  पड़ी  l  दाई  ने  माता  के  समान  प्रेम  से  बालक  को  अपना  दूध  पिलाया  l  शंकर  मिश्र  की  माता  दाई  से  कहा  करती  थीं   कि  बच्चा  जो  पहली  कमाई  लायेगा  वो  तेरी  होगी  l   बालक  बड़ा  होने  पर  किशोर  अवस्था  में  ही  संस्कृत  का   विद्वान्  हो  गया  l   राजा  ने  उसकी  प्रशंसा  सुनकर  उसे  दरबार  में  बुलाया  और   उसकी  काव्य  रचना  पर  प्रसन्न  होकर  उसे   अत्यंत  मूल्यवान  हार  उपहार  में  दिया  l   शंकर  मिश्र  हार  लेकर  अपनी  माता  के  पास  पहुंचे  l  माता  ने  वह  हार   अपने  वचन  का  पालन  करते  हुए  तुरंत  ही  दाई  को  दे  दिया  l  दाई  ने  उसका  मूल्य  जंचवाया  तो  वह  लाखों  रूपये  का  था  l  इतनी  कीमती  चीज  वह  लेकर  क्या  करती  ?   लौटाने  आई  l  पर  शंकर  मिश्र  और  उनकी  माता   के  लिए  दिए  गए  वचन  का  पालन  करना  गौरव  की  बात  थी  इसलिए  वह  हार  वापस  लेने  को  तैयार  नहीं  हुए  l   बहुत  दिन  देने , लौटाने  का  झंझट  बना  रहा  l  अंत  में  दाई  ने   उस  धन  से  एक  बड़ा  तालाब  बनवा  दिया  जो  आज  भी   दाई  का  तालाब  के  नाम  से   अब  भी  मौजूद  है  l  शंकर  मिश्र  का  वचन  पालन  और  दाई  का  नि:स्वार्थ  प्रेम   प्रशंसीय  है  l  

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