25 February 2024

WISDOM -----

 एक  बार  नारद जी   मृत्यु लोक  में  भ्रमण  को  निकले   तो  यहाँ  उन्होंने  प्राणियों  को  बहुत  कष्ट  व  दुःख  में  देखा  l  प्राणियों  का  यह  कष्ट  कैसे  मिटे  ?   कष्ट  के  निवारण  का  उपाय  पूछने  वह  विष्णु  लोक  जा  पहुंचे  l   तब  भगवान  कहते  हैं  ----- " हे  नारद  !  संसार  में  लोग  सत्य  धर्म  की  उपेक्षा  करने  के  कारण  ही  अत्यधिक  कष्ट  पा  रहे  हैं   l  जब  मनुष्य  अपने  लिए  निर्धारित  सत्य  पथ  से  विचलित  हो  जाते  हैं   तभी  ऐसी  स्थिति  पैदा  हो  जाती  है  l   भगवान  कहते  हैं ---- " सत्य  ही  भगवान  का  सच्चा  स्वरुप  है  l  भगवान  व्यक्ति  रूप  नहीं  , भाव  रूप  हैं   l  यदि  संसारी  मनुष्य  शब्दों  से  ही  नहीं  , आचरण  से  भी  सत्य  का  पालन  करने  के  लिए  तत्पर  हो  जाए   तो  निश्चित  रूप  से  दुःखों  से  छुटकारा  पा  सकते  हैं  l "   पं . श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  ने  अपनी  पुस्तक  'संस्कृति -संजीवनी श्रीमद् भागवत  एवं  गीता  '  में  लघु  प्रसंगों   के  माध्यम  से   सत्याचरण   की  ताकत  और  उसका  महत्त्व  समझाया  है  ------ राजा  दशरथ  राम  का  बिछोह  सह  नहीं  सकते  थे  l  लोगों  ने  सलाह  दी  कि  आपको  अपना  निर्णय  बदलने  का  हक  है  l  कैकेयी  की  बात  मत  मानिए   l  राजा  दशरथ  ने  कहा --- मुझे  राम  का  पिता  बनने  का  सौभाग्य   सत्याचरण  के  प्रभाव  से  ही  मिला  है  ,  उसे  त्याग  कर  मैं  अपने  स्तर  से   गिरना  नहीं  चाहता  l  मुझे  वचन  सोच -समझकर  ही  देना  चाहिए  , परन्तु  अब  सत्य  की  मर्यादा  भंग  कर  के   जीवन  का  मोह  करना  मुझे   स्वीकार  नहीं  l 

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