17 July 2024

WISDOM -------

   पं . श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं ----- ' इन्द्रिय  संयम  ही  आध्यात्मिक  जीवन  का  आधार  है  l  संयम  ही  शक्ति  का  स्रोत  है  l  संयम  न  सिर्फ  आध्यात्मिक  जीवन  , वरन  भौतिक  जीवन  में  भी  सफलता  का  स्रोत  है  l '   -----   स्वामी  दयानंद  के  जीवन  की  घटना  है   l स्वामी  दयानंद  ने  दो  बैलों  को  आपस  में  लड़ते  देखा   l वे  हटाये  नहीं  हट  रहे  थे  l  स्वामी जी  ने  दोनों  के  सींगों  को  दोनों  हाथों  से  पकड़ा   और  मरोड़कर   दो  दिशाओं  में  फेंक  दिया  l   डरकर  वे  दोनों  भाग  गए  l    ऐसी  ही  एक  और  घटना  है  l  स्वामी  दयानंद   शाहपुरा  में  निवास  कर  रहे  थे  l  जहाँ  वे  ठहरे  थे  , उसी  मकान  के  निकट  एक  नई  कोठी  बन  रही  थी  l   एक  दिन  अचानक   निर्माणाधीन  भवन  की  छत  टूट  गई  और  कई  पुरुष  उस  खंडहर  में  बुरी  तरह  फँस  गए  l  निकलने  का  कोई  रास्ता  नजर  नहीं  आता  था  l  केवल  चिल्लाकर  अपने  जीवित  होने  की  सुचना  भर  बाहर  वालों  को  दे  रहे  थे  l  मलबे  की  स्थिति  ऐसी  खतरनाक  थी  कि  दर्शकों  में  से  किसी  की  हिम्मत  निकट  जाने  की  नहीं  हो  रही  थी  l  राहत  के  लिए  पहुंचे  लोग  भी  परेशान  थे  कि  थोड़ी   चूक   से  बचाने  वालों  के  साथ   भीतर  घिरे  लोग  भी   भारी -भरकम  दीवारों  में  पिस  सकते  हैं   l   तभी  स्वामीजी  भीड़  देखकर  कुतूहलवश   उस  स्थान  पर  जा  पहुंचे   और  वस्तुस्थिति  की  जानकारी  होते  ही   वे  आगे  बढ़े  और   और  अपने  एकाकी  भुजबल  से   उस  विशाल  शिला  को  हटा  दिया  l  शिला   के  पीछे  फँसे  लोग  सुरक्षित  बाहर  आ  गए  l  वहां  आसपास  एकत्रित  लोग   स्वामी जी  शारीरिक  शक्ति  का  परिचय  पाकर   उनकी  जय -जयकार  करने  लगे  l  स्वामीजी  ने  लोगों  को  समझाया  कि  यह  कोई  चमत्कार  नहीं  है  , संयम  की  साधना  करने  वाला   हर  मनुष्य   अपने  में  इससे  भी  विलक्षण   शक्तियों  का  विकास  कर  सकता  है  l  

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