1 April 2020

WISDOM ---- सुख - वैभव इनसान को संवेदनहीन बनाता है ---- पं. श्रीराम शर्मा आचार्य

  आचार्य श्री  लिखते  हैं ----  ' इनसान   जीवन  भर  श्रेष्ठ  कर्म  कर  के   पुण्य  अर्जित  करता  है   और  जब  इस  पुण्य  का  भोग  करने  के  लिए  उसे   मान - सम्मान   एवं   पद - प्रतिष्ठा  मिलती  है   तो  उसके  अंदर   इसे  और  पाने  की  लालसा  जगती  है  l   इस  लालसा - लोभ  में   इनसान   इतना  क्रूर  एवं   निष्ठुर  व  संवेदनहीन    हो  जाता  है  कि   वह  अनेकों  की  पीड़ा  को  भूल  जाता  है  l   वह  सुख  पाने  की  लालसा  में  अनेकों  का  सुख  छीन  लेता  है  l   उसके  इस  सुख  में  जाने  कितनों  के  अरमान  दफन   हो  जाते  हैं  l 
   आचार्य श्री  लिखते  हैं ---- ' इस  लालसा - लोभ    में   वह  बहुत  कुछ  ऐसा  कर   गुजरता  है  ,  जिसे  करने  में  सर्वदा  परहेज  करना  चाहिए  , अन्यथा  परिणामस्वरूप   वह  सुखभोग  के  फेर  में   फिर  से  एक  नया  भोग  बना  लेता  है  ,  जो  कालांतर  में  पाप  के  रूप  में  फलित  होता  है   l  '
      आचार्य श्री   के  ये  वचन   सुख - वैभव  संपन्न , पद - प्रतिष्ठित  लोगों  की   चेतना  जगाने  के  लिए  हैं  l  उन्हें  जागरूक  करने  के  लिए हैं  कि   कहीं  अपने  सुख - वैभव  को  चिरस्थायी  बनाने  के  लिए  वे  गरीबों  और  बेसहारों  पर  जुल्म  तो  नहीं  कर  रहे  ?   हानिकारक  और    जानलेवा  व्यवसायों  से  बहुत  लाभ  कमाने  के  लिए   लोगों   के  जीवन  में  अमिट    दुःख   तो    नहीं  दे  रहे  ?

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