एक साधु वर्तमान शासन तंत्र की आलोचना कर रहा था , तब एक तार्किक ने उनसे पूछा --- " कल तो आप संगठन शक्ति की महत्ता बता रहे थे l आज शासन की बुराई ! शासन भी तो एक संगठन ही है l " इस पर महात्मा ने एक कहानी सुनाई -----
" एक वृक्ष पर एक उल्लू बैठा हुआ था , उसी पर आकर एक हंस भी बैठ गया और स्वाभाविक रूप में बोला ---- " आज सूर्य प्रचंड रूप में चमक रहे हैं , इसलिए गर्मी तीव्र हो गई है l "
उल्लू ने कहा ---- " सूर्य कहाँ है ? गर्मी तो अंधकार बढ़ने से होती है , जो इस समय भी हो रही है l " उल्लू की आवाज सुनकर एक बड़े वट वृक्ष पर बैठे हुए अनेक उल्लू वहां आकर हंस को मूर्ख बनाने लगे और सूर्य के अस्तित्व को स्वीकार न कर हंस पर झपटे l हंस यह कहता हुआ उड़ गया क़ि --- " यहाँ तुम्हारा बहुमत है , बहुमत में समझदार को सत्य के प्रतिपादन मे सफलता मिलना दुष्कर ही है l " बहुमत के महत्व को समझते हुए हंस चुप हो गया l
" एक वृक्ष पर एक उल्लू बैठा हुआ था , उसी पर आकर एक हंस भी बैठ गया और स्वाभाविक रूप में बोला ---- " आज सूर्य प्रचंड रूप में चमक रहे हैं , इसलिए गर्मी तीव्र हो गई है l "
उल्लू ने कहा ---- " सूर्य कहाँ है ? गर्मी तो अंधकार बढ़ने से होती है , जो इस समय भी हो रही है l " उल्लू की आवाज सुनकर एक बड़े वट वृक्ष पर बैठे हुए अनेक उल्लू वहां आकर हंस को मूर्ख बनाने लगे और सूर्य के अस्तित्व को स्वीकार न कर हंस पर झपटे l हंस यह कहता हुआ उड़ गया क़ि --- " यहाँ तुम्हारा बहुमत है , बहुमत में समझदार को सत्य के प्रतिपादन मे सफलता मिलना दुष्कर ही है l " बहुमत के महत्व को समझते हुए हंस चुप हो गया l