7 November 2023

लघु -कथा ----- आयु कुल चार वर्ष

   राजा  नौशेरवां  का  ऐसा  स्वभाव  था  कि  जहाँ  से  जो  भी  मिले   , उससे  कुछ  न  कुछ  सीख  लो  l  राजा  नौशेरवां  एक  दिन  वेश  बदल  कर   भ्रमण  को  निकले  l  मार्ग  में  उन्हें  एक  वृद्ध  किसान  मिला  l  किसान  के  बाल  पक  गए  थे  पर  शरीर  में   जवानों  जैसी  चेतनता  विद्यमान  थी  l  इसका  रहस्य  जानने  की  इच्छा  से  राजा  ने  उससे  पूछा  --- "  महोदय  !  आपकी  आयु  कितनी  होगी  ? "  वृद्ध  ने  हँसते  हुए  उत्तर  दिया ---- " कुल  चार  वर्ष  l "    नौशेरवां  ने  सोचा  बूढ़ा  दिल्लगी  कर  रहा  है  ,  पर  सच -सच  पूछने  पर  भी  जब   वृद्ध  ने  अपनी  आयु  चार  वर्ष  ही  बताई    तो  नौशेरवां  को   मन  में  बहुत  क्रोध  आया   कि  उसे  बता  दे  कि  वह  साधारण  व्यक्ति  नहीं  राजा  है  l  नौशेरवां  को  जिज्ञासा  थी  ,  उसने  अपने  मन  पर  नियंत्रण  रखा   और  नम्रता  से  पूछा ---- "  पितामह  !   आपके  बाल  पक  गए , शरीर  में  झुर्रियां  पड़  गईं  , लाठी  लेकर  चलते  हो  , मेरा  अनुमान  है  कि  आप  80  से  कम  के  न  होंगे  ,  और  फिर  भी  अपने  को  चार  वर्ष  का  बताते  हैं  l  ऐसा  क्यों  ?  "    वृद्ध  ने  गंभीर  होकर  कहा ---- "  आप  ठीक  कहते  हैं  , मेरी  आयु  80  वर्ष  है    किन्तु  मैंने  76  वर्ष  धन  कमाने  , ब्याह -शादी  और  बच्चे  पैदा  करने  में  बिताए  l  ऐसा  जीवन  तो  कोई  पशु  भी  जी  सकता  ,  इसलिए  उसे  मैं   मनुष्य  की  जिन्दगी  नहीं  ,  किसी  पशु  की  जिन्दगी  मानता  हूँ   l  इधर  चार  वर्ष  से  मेरा  विवेक  जाग्रत  हुआ  ,  मेरा  मन  ईश्वर  उपासना  , जप , तप , सेवा , सदाचार  , दया , करुणा , उदारता   में  लग  रहा  है   l  इसलिए  मैं  अपने  को  चार  वर्ष  का  ही  मानता  हूँ   l  "  नौशेरवां  वृद्ध  का  उत्तर  सुनकर  बहुत  संतुष्ट  हुए   और  प्रसन्नता  पूर्वक   राजमहल  लौटकर  सादगी  , सेवा  और  सज्जनता   का  जीवन  जीने  लगे  l