10 June 2021

WISDOM ---------

   आज  संसार  में  सबसे  बड़ी  समस्या  है  ------ ' प्राथमिकता  के  चुनाव   की  l  '   संसार  में  भिन्न - भिन्न  विचारधारा  के , विभिन्न  व्यवसाय  के  --------- प्राणी  हैं  l   प्रत्येक  व्यक्ति  की  प्राथमिकता  उसके   विचार , उसकी  मानसिक  प्रवृत्ति   के  अनुसार  होती  है   l   एक  सामान्य  व्यक्ति  की  प्राथमिकता   क्या  है   उसका  परिणाम  केवल  उस  पर  और  उसके  परिवार  पर  होता  है  जैसे  --यदि  एक  व्यक्ति   अपनी   सीमित   आय   का  अधिकांश  भाग  नशा ,  सिगरेट ,  गुटका   आदि  पर  खर्च  कर  देता  है   तो  उसके  परिवार  की  आर्थिक  स्थिति  बिगड़  जाएगी , कलह  होगी  , बच्चों  का  भविष्य  भी  बिगड़ेगा  l   लेकिन  ऐसे  व्यक्ति   जिनके  कार्य   और  उनकी  प्राथमिकताओं  के  चयन   सम्पूर्ण  समाज ,  राष्ट्र  और  संसार  को  प्रभावित  करते  हैं  ,  उन  पर  यदि  स्वार्थ  और    महत्वाकांक्षा  हावी  है    तो   उसका  नकारात्मक  परिणाम   होगा   l --- महाभारत  में  एक  कथा  है  --- महाराज  ययाति   वृद्ध  हो  गए  लेकिन  उनकी   भोग - विलास  की  इच्छाएं  तृप्त  नहीं  हुईं   ,  यमराज  उन्हें  लेने  आए   तो  वे  बहुत  रोए , गिड़गिड़ाए  l  यमराज  ने  कहा  --- यदि  तुम्हारा  कोई  पुत्र  तुम्हे  अपनी  जवानी  दे  दे  तो  तुम  पुन: सुख - भोग  पा  सकोगे   l   उनके  चार   पुत्रों  ने  मना  कर  दिया  लेकिन  पांचवें  पुत्र  को  दया  आ  गई  उसने  अपनी  जवानी  उन्हें  दे  दी   l  ऐसा  दस  बार  हुआ  और  उन्होंने  हजार  वर्षों  तक  भोग -विलास  का  जीवन  जिया  l   ययाति  की  प्राथमिकता  थी  कि   वे  स्वयं    भोग - विलास  का  जीवन  जिएं  ,  अपने  पुत्रों  के  जीवन  की  कीमत  पर   l      यह  द्वापर  युग  की  बात  थी  लेकिन  जब   संसार  में  कलियुग  में  प्रवेश  किया  तो    राजा  परीक्षित  ने  कलियुग  को  रहने  के  जो  स्थान  बताए   उनमे  एक  स्थान  ' स्वर्ण '  अर्थात  धन- दौलत ,  वैभव  l  यही  कारण  है  कि   जिसके  पास  जितना  अधिक  है  ,  उसे  उतना  ही  अधिक  लालच  है   और  उसके  इस  लोभ - लालच  का   परिणाम   समाज  को  भुगतना  पड़ता  है   l   एक  कथा  है  ---- एक  राजा  था , वह  प्रजा  के  हित   का  बहुत  ध्यान  रखता  था  l   उसने  अपने  विशाल  राज्य  में  अनेक   पाठशाला  , धर्मशाला ,  चिकित्सालय , पशुओं  के  लिए  चरागाह  आदि  व्यवस्थाएं   की  l   इन  सबकी  जानकारी  के  लिए  वह  वेश  बदलकर   भ्रमण  करता  था  l   एक  बार  वह  अपने  कुछ  अधिकारियों   और  राज्य  के  प्रमुख  श्रेष्ठियों  के  साथ  अपने  राज्य  के  दूरस्थ  क्षेत्र  में  गया  l   वहां  देखा  कि   सब  जगह   रौनक  थी   , जहाँ  अस्पताल  था  वहां   हरियाली  थी  , शांति  थी  , पक्षी  चहक  रहे  थे  , पानी  का  सुन्दर  दृश्य  था  l  माली  से  पूछा  -- यहाँ  के  सब  मरीज  कहाँ  गए  l '  माली  ने  कहा  ---   इस  क्षेत्र   में    तो  सब  स्वस्थ  हैं ,  व्यर्थ    में  यहाँ  क्यों  आएंगे  ?   वेश  बदले  हुए  राजा  ने  पूछा  ----  इतने  स्वस्थ  सब  कैसे  हैं   ? '  माली  वृद्ध   था  उसने  समझाया  ----- यहाँ  सब  लोग  प्राकृतिक  जीवन  जीते  हैं ,  नशे  से  दूर   रहकर    नियम , संयम  से  रहते  हैं   और  सबसे  बढ़कर  नैतिकता  के  नियमों  का  पालन  करते  हैं  इस  कारण  हर  तरह  की  तकलीफों  से  मुक्त  रहते  हैं   l   यह  सब  सुन  राजा  को  बड़ी  प्रसन्नता  हुई  कि   उसके  विशाल  राज्य  में  एक  क्षेत्र   इतना  आदर्श  है  l  उसने  अपने  साथ  के  अधिकारियों   व  श्रेष्ठियों  से  कहा  ---इस  गांव  का  उदाहरण   देकर  अन्य  गांवों  को  भी  प्रेरित  करेंगे  l   लेकिन  यह  सुनकर  उन  श्रेष्ठियों  का  माथा  ठनक  गया  कि   जब  कोई  बीमार  नहीं  पड़ेगा  तो  उनका  व्यापार   कैसे  बढ़ेगा  ,  दवाई  कैसे  बिकेगी  ,  धन  के  बल  पर  शासन  पर  और  राज्य  में  दूर -दूर  तक  जो  प्रभुत्व  है  उसका  क्या  होगा   ?  कलियुग  ने  उनकी  बुद्धि  को  दुर्बुद्धि  में  बदल  दिया  ,  अपने  अनेक  अपराधी मनोवृत्ति   के  लोगों  को  भेजकर  वहां  के  लोगों  में  नशे    आदि  की  आदत  डलवा   दी  l   नैतिकता  के  नियम  नहीं  रहे  l   हमारे  आचार्य  और  ऋषियों  ने  लिखा  है  -- मनुष्य  का  पतन  ऐसे  होता  है  जैसे  गेंद  टप्पे  खा ,  खाकर  गिरती  है   l   यही  हाल  उस  क्षेत्र  का  हुआ  ,  बहती  दरिया  में  हर  कोई  हाथ  धोता  है  l   जब  प्राथमिकता  में  लालच  हो , संवेदनहीनता  हो  तो  परिणाम   दुखदायी  होते  हैं   l