25 September 2018

WISDOM ------

श्रीमद्भगवद्गीता  में  भगवान  अपना  परिचय  देते  हुए कहते  हैं  कि  को  ---- ' मैं  काल  हूँ  l '  मनुष्य  एक  निश्चित  समय  व  स्थान  पर  जो  कर्म  करता  है  , कभी  न  कभी  उसका  परिणाम  अवश्य  प्रस्तुत  होता  है   l  व्यक्तिगत  जीवन  में  यदि  कर्म  अशुभ  है   तो  काल  रोग , शोक , पीड़ा  व  पतन  बनकर  प्रकट  होता  है   l   यदि  सामूहिक  जीवन  में  अशुभ  कर्म  होता  है  तो  काल  प्राकृतिक  आपदाओं ,  युद्ध  का  रूप  लेकर  आता  है   l
  महाभारत  के  महायुद्ध  में   कुरुक्षेत्र  में  परमेश्वर  स्वयं  दंड  लेकर  प्रकट  हुए   l  वे  अर्जुन  से  कहते हैं  --- तुम  इन  प्रतिपक्षी   योद्धाओं  को  मारो  या  न  मारो  ,  पर  ये  मरेंगे  अवश्य  l  इन्हें  मारने  का  माध्यम  तुम  बनो  या  फिर  कोई और  , इनका  मरना  सुनिश्चित  है   क्योंकि  व्यक्ति  अथवा  समूह  को  कोई  घटनाक्रम  नहीं  मारते,  उसे  मारते  हैं  उसके   कर्म   l 
         भीष्म  एवं  द्रोंण  अपने  व्यक्तिगत   जीवन  में  भले  ही  अच्छे  हों  ,  पर  दुर्योधन  के  अनगिनत  दुष्कर्मों  के   साथ  उनकी  मौन  स्वीकृति  ने    उन्हें  दंड  का  भागीदार  बना  दिया  है   l  यही  स्थिति  अन्यों  की  है   l  कर्मों  का  परिणाम    काल  तय  करता  है   l