8 May 2021

WISDOM ----- ज्ञान तभी सार्थक है जब उसमे अहंकार न हो

  पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं  ---- " ज्ञानी  जब  अहंकारी  हो  जाता  है  , तब  उसके  अंत:करण   से   करुणा  नष्ट  हो  जाती  है  l   उस  स्थिति  में  वह  औरों  का  मार्गदर्शन  नहीं  कर  सकता  ,  केवल  मात्र  दम्भ  प्रदर्शन  कर  सकता  है  ,  जिससे  लोग  प्रकाश  लेने  की  अपेक्षा  पतित  होने  लगते  हैं  ,  ऐसी  सर्वज्ञता   का  क्या  लाभ   ?  "     कहते  हैं   विधाता  ने   सत्य , धर्म , दान , तप  और  तीर्थ  की  रचना  की  , लेकिन  तब  भी  मनुष्य  सुखी  नहीं  हो  पाया    तब  विधाता  ने  ' वशिष्ठ '  नाम  से  ज्ञान  की  रचना  की   l   यह   ज्ञान  विवेक  और  दूरदर्शिता  से  अलंकृत  था   l   अपनी  सामर्थ्य  देखकर  ' वशिष्ठ  '  को  अहंकार  आ  गया  ,  उसे  भगवान  श्रीराम  पर  से  विश्वास  उठ  गया  ,  वह  स्वयं  को  भगवान  समझने  लगा  l ज्ञान  यदि  अपने  मार्ग  से  भटक  जाए   तो  सत्य , धर्म  ---- आदि   सब  विभूतियाँ  व्यर्थ  हो  जाती  हैं   इसलिए  उन्होंने   ' वशिष्ठ  को  सजा  दी  और  समझाया  कि   ज्ञान  की  सार्थकता  निरहंकारिता  में  है  l  भगवान  राम  सर्वज्ञ  थे   लेकिन  उन्होंने  अपना  सौम्य , उदार  और  करुणाजनक  स्वाभाव  बनाए   रखा  और  जन - जन  को  अपने  आचरण  से  शिक्षण  दिया  l