7 February 2024

WISDOM ------

   युग  बदलते  हैं  , इसके  साथ  मनुष्य  की  प्रवृत्ति  भी  बदलती  है , सोचने -विचारने  का  तरीका  भी  बदलता  जाता  है  l  कलियुग  को  कलियुग  क्यों  कहते  हैं   ?  यदि  हम  इस  उदाहरण  से  देखें  तो  उत्तर  मिल  जायेगा  ------- त्रेतायुग  में  ---- सीता  का  अपहरण  रावण  कर  रहा  था   l  सीताजी  की  करुण  पुकार  जब  जटायु  ने  सुनी   तो  वह  उनकी  रक्षा  के  लिए  निकल  पड़ा  l  कहाँ  रावण  जैसा  शक्तिशाली  राजा  और  कहाँ  वृद्ध , शक्तिहीन  गिद्ध  जटायु   !   किन्तु  जटायु  अपने  को  रोक  नहीं  सका  और   सीताजी  की  रक्षा  के  लिए  अपने  प्राण  दे  दिए  l   पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं  --यदि  हनुमान  नहीं  बन  सकते  तो  गिद्ध  और  गिलहरी  बन  जाओ  l    भगवान  राम  वन  चले  गए  थे  इसलिए  अपने  पिता  दशरथ  का  अंतिम  संस्कार  अपने  हाथ  से  नहीं  कर  सके    किन्तु  जटायु    की  दाह -क्रिया  अपने  हाथ  से  की  ,  जटायु    को  वह  सम्मान   और  गति  मिली   जो  दशरथ  को   भी  नहीं  मिली  l  वह  जटायु  आज  भी  इतिहास   में  अमर  है  l                                                                         द्वापर  युग  में   ---- द्रोपदी  का  चीर -हरण  हो  रहा  था   और  सब  वृद्ध   धर्म  और  न्याय  के  ज्ञाता  भीष्म पितामह , द्रोणाचार्य , कृपाचार्य  सब   सिर  झुकाए  बैठे  रहे  l  अपनी  ही  कुलवधू  के  साथ  होने  वाले  अन्याय  के  विरुद्ध  कोई  एक  शब्द  भी  नहीं  बोला  l  हस्तिनापुर  के  वृद्ध   एक  गिद्ध  की  गरिमा  को  भी  नहीं  पहुँच  सके  l     अत्याचार , अन्याय  तो  हर  युग  में  रहा  है   लेकिन  कलियुग  में  ईर्ष्या , द्वेष , अहंकार  , लालच , छल कपट , षड्यंत्र    आदि  दुष्प्रवृत्तियाँ   मनुष्य  पर  इतनी  हावी  हो  गईं  है  कि  मनुष्य  के  ह्रदय  की  करुणा , संवेदना  बिलकुल  समाप्त  हो  गई  है  l  अब  किसी  की  रक्षा  करना  तो  बहुत  दूर  की  बात  है  ,  वीडियो  बनाना , ब्लैकमेल  करना  ,  समाज  के  सामने  शरीफ  बनकर   अपनी  काली -करतूतों  को  छिपाना  ----   आदि    ऐसे  तथ्य  हैं  जो  इस  बात  को  बताते  हैं  कि   इस  युग  में  चरित्र  और  नैतिकता  का  स्तर  बहुत   गिर  गया  है  l   समाज  को  दिशा  देने  के  लिए  जिन  अनुभवी  लोगों  की  आवश्यकता  है  ,  उनकी इच्छाएं , लालसाएं  किसी  तरह  समाप्त  ही  नहीं  होतीं   l  सच्चाई  को  अपमानित  किया  जाता  है  और  अपराधी  समाज  में  सम्मान  पाते  हैं  l  एक  वाक्य  में  यदि  कहा  जाए   तो  --- धन , बुद्धि  , शक्ति  का  दुरूपयोग   होने  के  कारण  ही  यह  युग  कलियुग  है  l  एक  ऐसा  युग  जिसमें  सुख -शांति  हो ,  लोगों  में  तनाव  न  हों ,   अस्पताल  बीमारों  से  भरे  न  हों  ,  छीना -झपटी  न  हो ------ यह  सब  तभी  संभव  होगा  जब  धन  के  स्थान  पर    व्यक्ति  की  पहचान  उसके  गुणों  से  होगी  l  कामना , वासना , लालच , महत्वाकांक्षा  ही  व्यक्ति  को   जीवन  में  और  जीवन  के  बाद  भी  भटकाते  हैं   और  युग  को  कलियुग  बनाते  हैं   l