सच्चे आध्यात्मिक व्यक्ति के ह्रदय में प्रेम, ईमानदारी, सत्यता, उदारता, दया, श्रद्धा, भक्ति और उत्साह के भाव उत्पन्न होते हैं | ये सब आत्मा के स्वाभाविक गुण और मनुष्य की स्थायी शक्तियाँ हैं | जिस व्यक्ति में ये सब गुण मौजूद हैं, वास्तव में वही आध्यात्मिक व्यक्ति है |
ईश्वर प्राप्ति का मार्ग किसी धर्म विशेष या किसी कर्मकांड में सीमित नहीं है, यह तो आत्मा की गंभीरता में विद्दमान है । केवल 'ईश्वर'-ईश्वर ' रटने वाले धर्मात्मा नहीं होते, वरन वे ही व्यक्ति धर्मात्मा होते हैं जो परमात्मा के बताये हुए मार्ग पर चलते हैं ।
भारतीय अध्यात्म, हिंदू धर्म एक साधक को अर्जित ज्ञान को व्यवहार में उतारने, उपासना-साधना को आराधना की परिपक्वावस्था में पहुँचाने की बात करता है । अपने को वह सुधारता ही है, अपना विकास करता है और साथ ही समाज के ऐसे वर्ग के बीच जहाँ उसकी जरुरत है, भक्ति भाव से कार्य करता है तो वह परमात्मा की द्रष्टि में श्रेष्ठतम बन जाता है ।
ईश्वर प्राप्ति का मार्ग किसी धर्म विशेष या किसी कर्मकांड में सीमित नहीं है, यह तो आत्मा की गंभीरता में विद्दमान है । केवल 'ईश्वर'-ईश्वर ' रटने वाले धर्मात्मा नहीं होते, वरन वे ही व्यक्ति धर्मात्मा होते हैं जो परमात्मा के बताये हुए मार्ग पर चलते हैं ।
भारतीय अध्यात्म, हिंदू धर्म एक साधक को अर्जित ज्ञान को व्यवहार में उतारने, उपासना-साधना को आराधना की परिपक्वावस्था में पहुँचाने की बात करता है । अपने को वह सुधारता ही है, अपना विकास करता है और साथ ही समाज के ऐसे वर्ग के बीच जहाँ उसकी जरुरत है, भक्ति भाव से कार्य करता है तो वह परमात्मा की द्रष्टि में श्रेष्ठतम बन जाता है ।