1 . हकीम लुकमान से लोगों ने पूछा ---" वे इतने बुद्धिमान कैसे बने ? " तो वे बोले --- "मुझे बुद्धि मूर्खों से मिली l " लोगों ने पूछा --- "कैसे ? ' लुकमान बोले ---- " मैंने उनके जीवन को बारीकी से देखा और उनके जीवन में जो छोड़ने लायक लगा , उसे अपने जीवन में भी छोड़ दिया l प्रेरणा प्राप्त करने के लिए संसार के सभी मार्ग उपलब्ध हैं l "
2 . प्राचीन समय में जब मनुष्य के पास प्रकाश नहीं था तब लोगों ने अंधकार को दूर करने के अनेकों उपाय सोचे किन्तु कोई भी कारगर नहीं हुआ l किसी ने सुझाव दिया कि हमें अंधकार को टोकरी में भरकर गड्ढे में डाल देना चाहिए l लोगों ने टोकरी लेकर ऐसा प्रयास करना आरम्भ कर दिया l धीरे -धीरे इसने एक प्रथा का रूप ले लिया l उसी समय एक युवक का विवाह एक विदुषी महिला से हो गया l प्रथा के अनुरूप उससे भी अंधकार को फेंकने का कार्य करने के लिए कहा गया l यह सुनकर वह हँसने लगी l उसने सूखे पत्तों को एकत्र किया और फिर दो पत्थरों को टकराया तो लोग चकित होकर देखते रह गए कि आग पैदा हो गई और अँधेरा दूर हो गया l उस दिन से लोगों ने अँधेरा फेंकना छोड़ दिया , क्योंकि वे आग जलाना सीख गए थे l हम भी उन गाँव वालों की तरह हैं , जो पाप , दोष , दुर्गुणों से लड़ते रहते हैं , जबकि सद्गुणों को अपनाने पर ये अपने आप छूट जाते हैं l आचार्य श्री लिखते हैं --हमें अपने जीवन में सकारात्मक होना चाहिए l प्रारम्भ में किसी एक अवगुण को छोड़ें और उसके खाली स्थान को किसी एक सद्गुण से भरें l ऐसा निरंतर प्रयास करते रहने से सन्मार्ग पर चलने की आदत हो जाएगी और जीवन सकारात्मक दिशा में ही बढ़ेगा l