21 September 2021

WISDOM ------- दृष्टिकोण का परिष्कार जरुरी है

    पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं ---- 'धन  का  आकर्षण  बड़ा  जबरदस्त  है  l  जब  लोभ  सवार    होता  है  ,  तो    मनुष्य  अँधा  हो  जाता  है   और  पाप - पुण्य  में   कुछ  भी  फर्क  नहीं  देखता  है  l   धन - सम्पदा  पाने  के  लिए   वह  बुरे  से  बुरे  कर्म   करने  पर  उतारू  हो  जाता  है   और  स्वयं  भी  उस  पाप  के  फल  से  नष्ट  हो  जाता  है   l  आचार्य श्री  लिखते  हैं  ---- ' लोभ  आते  ही   अर्थात   अन्यायपूर्वक  द्रव्य  लेने   की  इच्छा  होते  ही    पाप  की  भावनाएं  बढ़ती  हैं  ,  क्योंकि  पाप  का  बाप  लोभ  है   l       धन  जीवन  के  लिए  बहुत  जरुरी  है  लेकिन  पैसा  बढ़ने  के  साथ - साथ   लोगों  का  ईमान ,  लोगों  का  दृष्टिकोण  और  चिंतन  भी  बढ़ना  चाहिए  l   यदि  दृष्टिकोण  का  परिष्कार  न  हुआ  , लोगों  के  हृदय  में  संवेदना   और  ईमान  नहीं  है   तो  यह   विनाश  का  कारण   होगा  l  गरीबी  से  ज्यादा  अमीरी   महँगी  पड़   सकती  है   l ------- गरीबी  की  बुराइयाँ  केवल  उस  गरीब  परिवार  के  लिए  ही  कष्टदायी  होती  हैं   लेकिन  अमीरी  की  जो  बुराइयाँ  हैं   वे  न  केवल  समाज  बल्कि  सारे  संसार  के  विनाश  का  कारण  बन  जाती  हैं   l     धन  और  बुद्धि   --यदि  इन  दोनों  का  सदुपयोग  न  हो  तो  ये  दोनों  मिलकर  संसार  में  तबाही  ला  सकती  हैं   l