10 July 2022

WISDOM ----

    अनमोल  मोती -----  1.  किसी  ने  एक  संत  से  पूछा ---- " महाराज  !  अब  संत  और  धूर्त  सब  एक  ही  तरह  के  कपड़ों  में  विचरण  करने  लगे  हैं   l   हम  लोगों  के  सामने  बड़ी   कठिन  समस्या  खड़ी  हो  जाती  है  l  कोई  ऐसा  उपाय  बताइए   जिससे  धूर्तों  से  बचकर  हम   संतों  की  सेवा  कर  सकें  l  "  संत  ने  कहा ---- "  इसमें  कौन  सी  बड़ी  बात  है   !  धूर्त  सेवा  कराने  के  फेर  में   रहते  हैं   और  संत  सेवा  करने  के  फेर  में   l  संत  सेवा  जैसा  व्यवहार  करता  है    और  धूर्त  का  व्यवहार   अपनी  कार्यसिद्धि   के  लिए   चापलूसी   और  चतुराई  से   भरा  रहता  है   l  धूर्त  मांगता  है  और  संत  देता  है   l  " 

2.  एक  बार  वाराणसी  में  गंगा घाट  पर  एक  वृद्ध  नहाने  उतरे  ,  उनका  पाँव  फिसल  गया   और  डूबने  लगे  l  एक  युवक  तुरंत  कूदा  और  वृद्ध  को  बचा  लाया  l  वृद्ध  की  प्रार्थना  पर  भी  युवक  ने  कोई  पुरस्कार  लेना  स्वीकार  नहीं  किया   l  इस  पर  वृद्ध  ने  कहा  --- 'आवश्यकता  पड़ने  पर  कलकत्ता  आना  ,  मैं  अवश्य  तुम्हारी  सहायता  करूँगा   और  उन्होंने  अपना  पता  युवक  को  दे  दिया   l  कुछ  महीने  बाद  युवक   वृद्ध  से  मिला   और  कुछ  कविताएँ  सामने  रखता  हुआ  बोला  ---- इन्हें    आप   अपनी  पत्रिका  में  छाप  दें   l  कविताओं  का  स्तर  देखकर   और  युवक  की  अनुचित  मांग  को  देखते  हुए   वे  बहुत  दुःखी   हुए   और  बोले ---- ' एक  बात  कहूँ   ?   मैं  इन्हें  छाप  नहीं  सकता   l  तुम  चाहो  तो  उस  उपकार  के  बदले  में  मुझे   फिर  गंगा  में  धकेल  दो   l  "    यह  थी  उनकी  आदर्शवादिता  और  सिद्धांत निष्ठा  l  ऐसे  ही  व्यक्तियों  के  कारण  हमारी  संस्कृति  सुरक्षित  थी   l  ऐसे  व्यक्ति  जीवन  व्यापर  में  भले  ही  असफल  हो  जाएँ  ,  लेकिन  उनका  अंत:करण  उन्हें  सदा  आशीष  देता  है   तथा  उन्हें  जन - सम्मान  भी  मिलता  है  l