पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं --- ' प्रयत्न और कर्म साधना से सब कुछ संभव है l संसार में आत्म उन्नति के लिए जो भी थोड़ा कुछ करने का साहस दर्शाते हैं -- उनके लिए सहायक परिस्थितियां अपने आप निर्मित होती चलती हैं l कभी एक मुजरिम रहे जाइगेर ने आगे चलकर समूचे विश्व को अपने साहित्य द्वारा नया प्रकाश और नयी जीवन दिशा दी l ----- जाइगेर जर्मनी के एक विख्यात लेखक हो गए हैं l जब वे केवल बारह वर्ष के थे , तब उन्हें रोजगार के लिए भटकना पड़ा l सुस्त और दुबले -पतले होने के कारण किसी ने भी उनको अपने यहाँ नौकर नहीं रखा l फिर वे एक मोटर कंपनी के मालिक से मिले l वह कंपनी अवैध धंधों के कारण बदनाम थी l मालिक ने कहा --बदनामी के कारण कोई यहाँ पर झाड़ू लगाने को तैयार नहीं है l जाइगेर ने उससे विनती की और कहा कि मैं अपना काम ईमानदारी से करूँगा l मालिक की हाँ सुनते ही उसने झाड़ू उठाई और कंपनी की पूरी इमारत सफाई कर के चमका दी l मालिक उससे बहुत खुश था l उस कंपनी में पहले से कुछ अपराधी किस्म के लोग काम करते थे , वे जाइगेर के मालिक पर बढ़ते प्रभाव से चिढ़ते थे इसलिए उन्होंने जाइगेर पर चोरी का इल्जाम लगा दिया जिससे उसको जेल हो गई l कैद से छूटने के बाद अब उसे रोजगार मिलना बहुत कठिन हो गया l भूखा क्या न करता ? उसने अपना एक गिरोह बना लिया और पचास से अधिक डकैतियां और चोरियां की l एक दिन पुलिस की गिरफ्त में आ गया और जेल में कष्ट सहना पड़ा l यहाँ उसे अपने अपराधी जीवन के बारे में सोचकर बहुत दुःख होने लगा और उसने अपनी व्यथा साबुन के एक रैपर पर कविता रूप में लिख डाली l जेल के पादरी को उसने अपने मन की व्यथा सुनाई तो उसे इसकी साहित्यिक प्रतिभा पर बहुत आश्चर्य हुआ , उसने सोचा कि यदि इसकी सहायता की जाये तो यह अपना जीवन भी सुधार सकेगा और दूसरे सैकड़ों लोगों को सन्मार्ग पर चलने की प्रेरणा दे सकेगा l पादरी ने सरकार की ओर से उसकी इस रूचि को विकसित करने के लिए साधन जुटा दिए l जाइगेर ने कविता और गद्य के सैकड़ों पृष्ठ जेल में ही लिखे l जेल से छूटने के बाद वह दिन भर मजदूरी करता और शाम को नियम से लिखता l उसने एक अच्छा उपन्यास ' दी फोट्रेस ' लिख डाला l पादरी की मदद से वह उपन्यास प्रकाशित हुआ l इस कृति ने उसे पूरे जर्मनी में प्रसिद्ध ओर लोकप्रिय बना दिया l बाद में उसकी अन्य रचनाएँ भी सर्वाधिक संख्या में बिकीं l निरंतर प्रयास और संघर्ष करने से जीवन में सफलता अवश्य मिलती है l