17 September 2022

WISDOM -----

    पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं --- ' प्रयत्न  और  कर्म साधना  से  सब  कुछ  संभव  है  l  संसार  में  आत्म उन्नति  के  लिए   जो  भी   थोड़ा    कुछ  करने  का  साहस  दर्शाते  हैं  -- उनके  लिए  सहायक  परिस्थितियां  अपने  आप  निर्मित  होती  चलती  हैं  l  कभी  एक  मुजरिम  रहे  जाइगेर  ने  आगे  चलकर  समूचे  विश्व  को  अपने  साहित्य  द्वारा  नया  प्रकाश  और  नयी  जीवन  दिशा  दी  l  ----- जाइगेर  जर्मनी  के  एक  विख्यात  लेखक  हो  गए  हैं  l  जब  वे  केवल  बारह  वर्ष  के  थे  , तब  उन्हें  रोजगार  के  लिए  भटकना  पड़ा  l  सुस्त  और  दुबले -पतले  होने  के  कारण  किसी  ने  भी  उनको  अपने  यहाँ  नौकर  नहीं  रखा  l  फिर  वे  एक  मोटर कंपनी  के  मालिक  से  मिले  l  वह  कंपनी  अवैध  धंधों  के  कारण  बदनाम  थी  l मालिक  ने  कहा --बदनामी  के  कारण  कोई  यहाँ  पर  झाड़ू  लगाने  को  तैयार  नहीं  है  l  जाइगेर  ने  उससे  विनती  की  और  कहा  कि  मैं  अपना  काम  ईमानदारी  से  करूँगा  l  मालिक  की  हाँ  सुनते  ही  उसने  झाड़ू  उठाई  और  कंपनी  की  पूरी  इमारत  सफाई  कर  के  चमका  दी  l  मालिक  उससे  बहुत  खुश  था  l  उस  कंपनी  में  पहले  से  कुछ  अपराधी  किस्म  के  लोग  काम  करते  थे  , वे  जाइगेर  के   मालिक  पर  बढ़ते  प्रभाव  से  चिढ़ते  थे  इसलिए  उन्होंने   जाइगेर  पर  चोरी  का  इल्जाम  लगा  दिया  जिससे  उसको  जेल  हो  गई  l  कैद  से  छूटने  के  बाद  अब  उसे  रोजगार  मिलना  बहुत  कठिन  हो  गया  l  भूखा  क्या  न  करता  ?  उसने  अपना  एक  गिरोह  बना  लिया   और  पचास  से  अधिक  डकैतियां  और  चोरियां  की  l  एक  दिन  पुलिस  की  गिरफ्त  में  आ  गया  और  जेल  में  कष्ट  सहना  पड़ा  l  यहाँ  उसे  अपने  अपराधी  जीवन  के  बारे  में  सोचकर    बहुत  दुःख  होने  लगा  और  उसने  अपनी  व्यथा  साबुन  के  एक  रैपर  पर  कविता  रूप  में  लिख  डाली  l  जेल  के  पादरी  को  उसने  अपने  मन  की  व्यथा  सुनाई  तो  उसे  इसकी  साहित्यिक  प्रतिभा  पर  बहुत  आश्चर्य  हुआ  , उसने  सोचा  कि  यदि  इसकी  सहायता  की  जाये  तो  यह  अपना  जीवन  भी  सुधार  सकेगा  और  दूसरे  सैकड़ों  लोगों  को  सन्मार्ग  पर  चलने  की  प्रेरणा  दे  सकेगा  l  पादरी  ने  सरकार  की  ओर  से  उसकी  इस  रूचि  को  विकसित  करने  के  लिए  साधन  जुटा  दिए  l  जाइगेर  ने  कविता  और  गद्य  के  सैकड़ों  पृष्ठ जेल  में  ही  लिखे  l  जेल  से  छूटने  के  बाद  वह  दिन  भर  मजदूरी  करता  और  शाम  को  नियम  से  लिखता  l  उसने  एक  अच्छा  उपन्यास  ' दी  फोट्रेस '  लिख  डाला  l  पादरी  की  मदद  से  वह  उपन्यास  प्रकाशित  हुआ  l  इस  कृति  ने  उसे  पूरे  जर्मनी  में  प्रसिद्ध  ओर  लोकप्रिय  बना  दिया  l बाद  में  उसकी  अन्य  रचनाएँ  भी  सर्वाधिक  संख्या  में  बिकीं  l   निरंतर  प्रयास  और  संघर्ष  करने  से  जीवन  में  सफलता  अवश्य  मिलती  है  l