22 July 2018

WISDOM ----- भौतिक विकास तभी सार्थक है जब उसके साथ जीवन में सुख - शांति हो

 आज  व्यक्ति  के  जीवन  में  भौतिक  सुख - सुविधा   एवं  समृद्धि  के  नाम  पर  बहुत कुछ  है  ,  किन्तु नैतिक  मूल्यों   की  कसौटी  पर   स्थिति  दिवालियापन  की  है  l  
  शारीरिक  और  बौद्धिक  विकास  पर  तो   ध्यान  दिया  जा  रहा  है   किन्तु  भावनात्मक  एवं  मानसिक  विकास  उपेक्षित  है   l   मानवीय  मूल्यों  के  पतन  के  कारण  ही   आज  धरती  पर   युद्ध , बहशीपन ,  शोषण - उत्पीड़न  की   घटनाएँ  बढ़ी  हैं  l   मनुष्य  अभी  भी  अपनी  आदिम - अवस्था  से  बाहर  नहीं  निकला  है  l  विशेष  रूप  से  नारी  के  प्रति  जो  सोच  है ,  उसके  शोषण  और  उत्पीड़न  के  जो   तरीके  हैं   उसने  उसके  मानव  होने  पर  ही  प्रश्न  चिन्ह  लगा  दिया  है  l 
  ' लक्ष्मी '  का  अर्थ ---  केवल  धन-वैभव  नहीं  है   l  ' लक्ष्मी '  का  अर्थ  है --- धन - संपदा  के  साथ  सुख -समृद्धि  और  मानसिक  शांति  हो ,  सुकून  का  जीवन  हो  l   लेकिन   आज  पारिवारिक  हिंसा   है  ,   हर  व्यक्ति  तनाव  से  पीड़ित  है  ,  लाइलाज  बीमारियाँ  हैं  ,   ऐसा  क्यों  है   ?   ----
  एक  कथा  है -----   लक्ष्मी  जी  असुरों  का  वास  स्थान   सदैव  के  लिए  परित्याग  कर     देवताओं  के  आश्रम  में  आ   गईं  l   देवराज   ने   असुरों  के  पास  से  चले  आने  का  कारण  पूछा    तो    महालक्ष्मी  ने  कहा ----- " देवराज  !  जब  किसी  राष्ट्र  में   प्रजा  सदाचार  खो  देती  है   तो  वहां  की  भूमि ,  जल , अग्नि   कुछ  भी  मुझे  पसंद  नहीं   l  व्यक्ति  के  सदाचारी  मानस  में  ही   मैं  अटल  निवास  करती  हूँ   l  जहाँ  लोग  नीतिपूर्वक    रहते  है   और  परिश्रमपूर्वक  अपना  उद्दोग  करते  रहते  हैं  ,  उस  स्थान  को  मैं  कभी  नहीं   छोड़ती  ,  लेकिन  जहाँ  पर   आक्रमण , वैरभाव ,  हिंसा , क्रोध ,  प्रमाद  , शोषण , अत्याचार    आदि  बढ़  जाते  हैं  ,  उस  स्थान  को  छोड़कर  मैं  तत्काल  चली  जाती  हूँ   l   मैं  शुभ  कार्यों  से  उत्पन्न  होती  हूँ  ,  उद्दोग  से  बढ़ती  हूँ ,  और  संयम  से  स्थिर  रहती  हूँ   l  जहाँ  इन  गुणों  का  अभाव  होता  है   उस  स्थान  को  छोड़  जाती  हूँ   l  "    यही  है  मेरे  द्वारा  असुरों  का  निवास  छोड़ने  का  कारण  l