2 February 2019

WISDOM ---- सभी प्राणी परमेश्वर में ही स्थित हैं ----- श्रीमद्भगवद्गीता

  जब  कृष्ण भक्त  मीरा  ने  दिया  बोध --- एक   कथा  है ----   तीर्थाटन   के  दौरान  जब  मीरा  वृन्दावन  आईं   तब   कण - कण  में  अपने   आराध्य  प्रीतम  का  वास  देखकर    निहाल  हो  गईं  l   मीरा  बिहारीजी  के  मंदिर   में  पहुंची  l  स्वामी  जीव  गोस्वामी  वहां  विराजते  थे  l   लोगों  ने  कहा  स्वामीजी स्त्रियों  से  नहीं    मिलते  ,  वे  स्त्री      की  ओर  देखते  भी  नहीं  हैं  l     मीरा  ने  कहा ----- "  ऐसा  क्यों  ?   पूरे   संसार  में   तो   पुरुष  मात्र  श्रीकृष्ण  हैं   l  यह  कौन  नया  पुरुष  के  नाम  का  पट्टीदार  आ  गया   l   हम  सब  स्त्रियाँ  हैं --- आप  भी , हम  भी   l  जहाँ  तक  प्रकृति  है ,  वहां  तक  हम  सब  हैं   l प्रकृति  के  पार  तो  एक  ही  पुरुष  है ---- श्रीकृष्ण  l "   जीव  गोस्वामी   तक  संवाद  पहुंचा  ,  उन्हें   आत्मबोध  हुआ  l   तुरंत  मीरा    मिलने  आये   और  अपनी  भूल  स्वीकार  की   l उसके      बाद  उनके  मन  से  यह  भेद  मिट  गया  l 
  आज  इक्कीसवीं  सदी  में भी   भारत  में  ऐसे  मंदिर  हैं  जहाँ  स्त्रियों  के  जाने  की मनाही  है ,  ऐसे  सम्प्रदाय  हैं  ,  जहाँ  स्त्रियों  को  महात्माजी  नहीं  देखते  l  उनके  प्रवचन  होते  हैं   तो  स्त्रियों  को  पीछे  बैठाया  जाता  है    l   उस  समय  कोई   सामयिक  कारण  रहा  होगा  ,  लेकिन  यह  प्रथा  अब  भी चली  आ  रही  है   l  यह  कथा  प्रेरणा  प्रदान  करती  है   l  

WISDOM ----- ह्रदय की पवित्रता जरुरी है

 एक  दिन  कबीर  गंगा  के  घाट  पर  गए  हुए  थे  l  उन्होंने  एक  ब्राह्मण  को   किनारे  पर  हाथ  से  अपने  शरीर  पर  पानी  डालकर  स्नान  करते  हुए  देखा   तो  अपना  पीतल  का  लोटा   देते  हुए  कहा --- " लीजिये , इस  लोटे  से  आपको  स्नान  करने  में  सुविधा  होगी   l "  लेकिन  ब्राह्मण  ने  कबीर  को  घूरते  हुए  --- " रहने  दे  l  ब्राह्मण  जुलाहे  के  लोटे  से  स्नान  करने  से   भ्रष्ट  हो जायेगा  l " इस  पर  संत  कबीर  हँसते  हुए  बोले ---- " लोटा  तो  पीतल  का  है,   जुलाहे  का  नहीं  ,  रही  भ्रष्ट  और  अपवित्र  होने  की  बात   तो   मिटटी  से  साफ कर  गंगा  के  पानी  से  इसे  कई  बार  धोया  है   और   यदि  यह  अभी  भी  अपवित्र  है   तो  मेरे  भाई  ! दुर्भावनाओं  और  विकारों  से  भरा  मनुष्य   क्या  गंगा  में  नहाने  से  पवित्र  हो  जायेगा   ?  "
 कबीर  के  इस  जवाब  ने  ब्राह्मण  को  निरुत्तर  कर  दिया  l