25 December 2022

WISDOM -----

    ' मृत्यु  अटल  सत्य  है '  लेकिन  संसार  का  प्रत्येक  प्राणी  चाहे  वह  पशु -पक्षी  हो , कीट -पतंगे  हो  , जल , थल  और  नभ  में  रहने  वाला  कोई  भी  प्राणी  हो  सबको  अपने  शरीर  से  बहुत  मोह  होता  है ,  कोई  मरना  नहीं  चाहता l   मनुष्य  तो  एक  बुद्धिमान  प्राणी  है  , वह  चाहे  कितना  भी  बीमार  हो , गरीब  हो , शरीर  सूख  गया  हो   लेकिन  कोई  मरना  नहीं  चाहता , सब  जीना  चाहते  हैं  l  संसार  में  आकर्षण  बहुत  है   और   ' मोह ' है  अपने  से  और  अपनों  से  l   पुराण  की  एक  कथा  है -----  महाराज  प्रद्युम्न  का  रोग  बहुत  बढ़  गया ,  उनका  अंत  निकट  आ  गया  , सभी  वैद्य  निराश  होकर   अपने  घर  लौट  गए  l  राज परिवार  बहुत  परेशान  था , कैसे  भी  हो  राजा  को  बचाया  जाये  l  प्रधान  सचिव  ने   परामर्श  कर  आचार्य  पुरन्ध्र  को  बुलवाया  l   आचार्य  ने  महाराज  का  पूर्ण  परिक्षण  किया  और  कहा  कि  अब  उनमे  जीवन  के  कोई  लक्ष्ण  शेष  नहीं  हैं  l   लेकिन  राज परिवार  हठ  करने  लगा  कि  आप  तो  सिद्ध  पुरुष  हैं  , कैसे  भी  महाराज  को  बचाइए  !  आचार्य  ने  बहुत  समझाया  कि  आज  बच  भी  गए  तो  यह  जर्जर  शरीर  कब  तक  चलेगा  , एक  दिन  तो  जाना  ही  है  l  फिर  यह  शरीर  छूता  तो  एक  नया  शरीर  मिलेगा  l  आचार्य  के  उपदेश  को  किसी  ने  नहीं  सुना , समझा  !  तब  आचार्य  ने  कहा --- हाँ , एक  उपाय  है  , प्रधान सचिव   , आप  प्रयत्न  करें  तो  महाराज  के  प्राण   अभी  बच   सकते  हैं   l '   उन्होंने  कहा --- आगया  दें  , हम  महाराज  के  लिए  सब  कुछ  करने  को  तैयार  हैं  l '  तब  आचार्य  ने  कहा ---- " महाराज  को  अभी  मर  जाने  दो  l  थोड़ी  देर  में  ही  राजोद्यान  में   आम  का  एक  वृक्ष  है  , ये  उसमे  काष्ठ -कीट  के  रूप  में  जन्म  लेंगे  l  आप  उसे  जा  कर  मार  देना  तो  महाराज  पुन:  जीवित  हो  उठेंगे  l "  सब  लोग  बहुत  प्रसन्न  हुए  और  आचार्य   के  गुण  गाने  लगे  l  इस  बीच  महाराज  को  प्राणांत  हो  गया   l  शव  को  ढककर  प्रधान सचिव  राजोद्यान  पहुंचे  l  थोड़ी  ही  देर  में  आचार्य  ने  जैसा  बताया  था   वैसा  ही  एक  कष्ट कीड़ा  दिखाई  दिया , प्रधान सचिव  उसे  पकड़ने  के  लिए  पेड़  पर  चढ़े  l  लेकिन  कीड़ा  अपनी  जान  बचाने  के  लिए  एक  डाल  से  दूसरी  पर  जाता  रहा   और  फिर  इस  पेड़  से  दुसरे  पेड़  पर  छलांग  लगा  ली  l  प्रधान  ने  बहुत  पीछा  किया  लेकिन  पकड़  न  सके  , निराश  हो  गए  l  आचार्य  ने  कहा --- कीड़े  को  अपने  शरीर  से  इतना  मोह  है  कि  वह  इसे  त्यागकर  राजा  बनना  नहीं  चाहता  l  आचार्य  ने  अपनी  दिव्य  शक्ति  से  उसके  मन  की  बात  पता  की  और  कहा  कि  यह  कीड़ा  अपने  शरीर   में    प्रसन्न  है , उसे  इससे  मोह  है ,  उसे  अपने  कीट  समुदाय  में  भी  सब  सुख  हैं , भोग  विलास  सब  है  , वह  इसे  त्यागना  नहीं  चाहता   इसलिए  जान  बचाने  के  लिए  भाग  रहा  है  l  आचार्य  ने  कहा --इसी  तरह  हम  भी  एक  अच्छे  और  नए  जीवन  के  लिए  भी  डरते  हैं  , शरीर  को  त्यागना  नहीं  चाहते  है  l  आचार्य  की  बात  सुनकर  सबका  मोह  टूटा  और  मृत्यु  को  अटल  मानकर  वे  दाह -संस्कार  की  तैयारी  में  जुट  गए  l