23 January 2021

WISDOM ----- राम काजु करिबे को आतुर

  श्री  हनुमान जी  विद्वान् ,  गुणी   व  बहुत  चतुर  थे   l    आज  के  कठिन  समय  में  श्री  हनुमान जी   का  चरित्र  हमें  जीवन   जीने  की  कला  सिखाता  है   l    जब  हनुमान जी  माँ  सीता  की  खोज  में  लंका  जा  रहे  थे  l   समुद्र  पार  कर  रहे  थे  l   मैनाक  पर्वत  ने  उनसे  कुछ  देर  विश्राम  करने  को  कहा  l   हनुमान जी  ने  उसको  अस्वीकार  नहीं  किया  ,  केवल  स्पर्श  किया  l   स्वर्ण  पर्वत  मैनाक  सुख - समृद्धि  का  प्रतीक   है  l  हनुमान जी  ने  सुख - समृद्धि  को  ठुकराया  नहीं  ,  लेकिन  उनका  ध्यान  अपने  लक्ष्य पर , अपने  उद्देश्य  पर  था  इसलिए  वे  उसका  स्पर्श  कर  आगे  बढ़  गए  l   इसका  अर्थ  यही  है  कि   कितना  भी  सुख - वैभव  हमारे  पास  आ  जाये   , हमें  उसका  विवेकपूर्ण  ढंग   से उपयोग  करना  चाहिए  ,  उसमे  लिप्त  होकर  अपने  उद्देश्य  से  भटकना  नहीं  चाहिए    l   श्री हनुमान जी  ने  अपने  आचरण  से  यह  बताया   कि   हमें  अपना  ध्यान  लक्ष्य  पर  केंद्रित   रखना  चाहिए  l   अनेक  लोग  ईर्ष्या - द्वेष   के  कारण   अपनी  पूरी  ऊर्जा   दूसरों  की  निंदा   करने   और  उनसे  लड़ने   , उनके  विरुद्ध  षड्यंत्र  करने   में  बर्बाद  कर  देते  हैं  l   हनुमान जी  को   अपने  मार्ग  में  सिंहिका  नाम  की  राक्षसी  मिलती  है  ,  जिसे  उन्होने  मार  डाला   क्योंकि  वह  ईर्ष्या   का  प्रतीक   थी   ,  वह  उड़ते  हुए    लोगों की   परछाई  पकड़  कर  खा  जाती  थी   l 

WISDOM -------

   पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं ----- " शक्ति  और  सामर्थ्य  का  प्रयोग   अहंकार  और  दंभ   प्रदर्शन  के  लिए  नहीं  होना  चाहिए  ,  बल्कि  इसका  नियोजन  मानवता  के  कल्याण   और  विकास  के  लिए  करना  चाहिए   l   सामर्थ्य  के  संग  जब  अहंकार   जुड़ता  है  ,  तो  विनाश  होता  है     और  जब  सामर्थ्य  के  संग  संवेदना  जुड़ती  है  ,  तो  विकास  होता  है   l "  आचार्य श्री  आगे  लिखते  हैं  ---- "      सामर्थ्य  और  शक्ति  का  प्रयोग    तो  समान   व्यक्ति  के  विरुद्ध    होना  चाहिए  ,  और  वह  भी  मूल्यों  की  रक्षा  के  लिए   l  "     महाभारत    में  जब  अर्जुन  ने  देखा  कि   उसे  अपने  ही  भाइयों , पितामह ,  गुरु  आदि  से  युद्ध  करना  होगा   तो  वह  विषादग्रस्त  हो  गया  ,  उसने  अपना  गांडीव  नीचे  रख  दिया   तब  भगवान  कृष्ण  ने  उसे  गीता  का  उपदेश  दिया   ,  भगवान  ने  कहा  ---- वे  लोग  अधर्म  और  अन्याय  के  पक्ष  में  हैं  , अत्याचारी  हैं   l   यदि  अत्याचार  और  अन्याय   को हम  नहीं   मिटायेंगे   तो  वे  हमें  मिटा  देंगे  l   इस  संसार  में  सुख - शांति  के  लिए   असुरता  को  मिटाना   अनिवार्य  है  ,  इसलिए  तुम  शस्त्र  उठाओ  और  युद्ध  करो  l