2 October 2019


WISDOM ----- कालजयी महात्मा गाँधी

  महात्मा  गाँधी  ने  एक  बार  कहा  था --- मेरा  विश्वास  है  कि  एक  दिन  ऐसा  आएगा  जब  सारा  संसार  शान्ति  की  खोज  में  भारत  आएगा   और  भारत  तथा  एशिया  संसार  के  लिए  प्रकाश  स्तम्भ  की  तरह  हो  जायेंगे   l   महात्मा  गाँधी  का  दैवी  व्यक्तित्व  था  ,  अपने  अपने  विलक्षण  आत्मबल  से   केवल  भारत  ही  नहीं  संसार  में  अनेकों  को  प्रभावित  किया  ----
 एक  यूरोपियन  प्रतिनिधि  ने  उनसे  भेंट  होने  पर  बड़े  विनीत  भाव  से  कहा  था ---- आपसे  भेंट  होने  को  हम  अपना  बड़ा  सौभाग्य   समझते  हैं  l  आप  जब  बोलते  हैं  तो  जान  पड़ता  है  कि  वे  शब्द  ' बाइबिल '  में  से  चले  आ  रहे  हैं   l
  डॉ . मार्टिन  लूथर  किंग  ने  जब  गांधीजी  के  साहित्य  तथा   भारतीय  स्वतंत्रता  संग्राम  के  इतिहास  को  पढ़ा  तो  उनकी  द्रष्टि  बदल  गई  l  उन्होंने  गाँधी जी  की  तरह  अहिंसात्मक  प्रतिरोध  का  आश्रय  लिया  l  उन्हें  विश्वास  हो  गया    कि   घ्रणा  को  घ्रणा  के  द्वारा  नहीं मिटाया  जा  सकता  l  आध्यात्मिक  शक्ति  ही  मानव - मानव  के  मध्य  गहरी  खाई  को  पाटने  वाली  है  l 
  महात्मा  गाँधी  की  तरह  अपने  आपको   मानव  जाति  की  सेवा  में  अर्पित  करने  वाले  और   उन्ही  नैतिक  मूल्यों , सत्य  , अहिंसा  के   पथ  पर  चलते  हुए   अपना  सारा  जीवन  अन्याय  से  संघर्ष  करने  में  खपाने  वाले   खान  अब्दुल  गफ्फार  खान  ' सीमान्त  गाँधी '   आज  भी  भारत  और  पाकिस्तान  के  जन मानस  में  स्थापित  हैं   l
  एक  इटालियन  राजकुमार  -- लांझडिल  वास्नो -- 1937  में  भारत  आये  l भारत  आकर   वे  बापू  से  मिले  व  हिमालय  भी  गए  l  दोनों  से  प्रेरणा  लेकर  वे  फ्रांस  गए   और  दक्षिण  फ्रांस  में   एक  आश्रम  स्थापित  किया  जिसका  नाम  है  ' आर्क  कम्युनिटी ' l  महात्मा  गाँधी  के  सिद्धांतों -- अहिंसा , अध्यात्म ,  श्रम  और  समाज सेवा  ,  विश्व  बंधुत्व  की  भावना  की  भावना  पर  आधारित  जीवन  प्रणाली  है  l  इन्हें  फ्रांस  का  शांति  दूत  माना  जाता  है  l  विनोबा  जी  ने   इस  इटालियन  राजकुमार  का  नामकरण  ' शान्तिदास  ' किया  l 
  रोडेशिया  में  जन्मे  अलबर्ट  लुथिली   ने  जब  से  होश  सम्हाला   वे  अफ्रीका  में  काले  लोगों  की  दुर्दशा  व  अत्याचार  से  बहुत  पीड़ित  थे  l  1938  में   वे  अंतर्राष्ट्रीय  ईसाई  परिषद्  में  भाग  लेने  भारत  आये  l  यहाँ  वे  गाँधी जी  से  मिले  l  अब  उन्हें  इस  अत्याचार व  अनाचार    का  व्यापक  प्रतिरोध  करने  का  साधन  मिल  गया  वह  था ---- अहिंसात्मक  आन्दोलन    l    अहिंसात्मक  आन्दोलन   केवल  राजनीतिक  शस्त्र  नहीं   वरन  आत्मिक  पवित्रता    तथा  आत्म बल  पाने  का  साधन  है  l  अन्याय  का  प्रतिकार  करना  हर  मनुष्य  का  परम  कर्तव्य  है   l  लुथिली  को  अपनी  आत्मा  की  शक्ति  पर  विश्वास  था  l  उन्होंने  कर्म  पथ  अपनाया    l   लोगों  को  जागरूक  किया ,  अहिंसा  पर  विश्वास  बढ़ने  लगा      l  दासत्व  के  विरोध  में  विशाल  आन्दोलन  खड़ा  हो  गया ---- l  शासन  को  इस  अहिंसा  के  आन्दोलन  के  आगे  झुकना  पड़ा  l 
1952  में   अलबर्ट  लुथिली  को  नोबेल  शांति  पुरस्कार  दिया  गया  l
 आइन्स्टाइन  ने  कहा  था  --- "  आने  वाली  पीढ़ियाँ  इस  बात  पर  विश्वास  नहीं  करेंगी    कि  इस  प्रकार  का  व्यक्ति  हाड़ - मांस  के  पुतले   के  रूप  में  पृथ्वी  पर  विचरण  करता  था  l  "