29 October 2021

WISDOM ------

   मनुष्यों  को   जागरूक  करने  के  लिए  भगवान  ने  बार - बार  धरती  पर  जन्म  लिया   लेकिन  मनुष्य  पाप  का , अधर्म  का  रास्ता  ही  नहीं  छोड़ता   l   कितने  भी  नियम - कानून  बन  जाएँ  ,  जब  तक  व्यक्ति  के  विचारों  का  परिष्कार  नहीं  होगा ,  उनके  संस्कार  में  परिवर्तन  नहीं  होगा  ,  तब  तक  आकर्षक  योजनाओं  से  भी  कुछ  नहीं  होता   l   ऐसे  में  संसार  को  सुधारने  का  दायित्व  प्रकृति   स्वयं  अपने  हाथ  में  लेती  है   l  ईश्वर  स्वयं  कुछ  नहीं  करते  ,  वे  जिससे  प्रसन्न  हैं  उसे  सद्बुद्धि  देते  हैं   और  जिससे  नाराज  हैं  उसे  दुर्बुद्धि  देते  हैं   l  जब  बुद्धि  भ्रष्ट  हो  जाती  है   तब  व्यक्ति  स्वयं  अपने   अंत  का  रास्ता  चुन  लेता  है   l   इसका  सबसे  बड़ा   उदाहरण  है  पर्यावरण  प्रदूषण    l   मनुष्य  स्वयं  अपनी  भ्रष्ट  बुद्धि  से   ऐसे  पदार्थ  खोज  लेता  है   जिनके  प्रयोग  से   कृषि , खाद्य  पदार्थ   ऐसे  प्रदूषित  हो  जाएँ   जो  मनुष्य  के  शरीर   में  धीमा  जहर   भरकर  उसे  बीमार  कर  दें   l  दुर्बुद्धिग्रस्त  व्यक्ति   बीमारी  से  रक्षा  के  लिए  ऐसी    दवा , आदि  का  प्रयोग  करने  लगता  है  जो  उसकी  शारीरिक  और  मानसिक  शक्ति  को  क्षीण  कर  दे   l  मृत्यु  से  डरने  वाला  स्वयं  आत्महत्या  की  ओर  बढ़ने  लगता  है   l