25 December 2020

WISDOM -----

  मार्टिन  लूथर  ईसाई  धर्म  के  प्रसिद्ध   एवं  विचारक  हुए  हैं  l   जब  उन्होंने  कुछ  प्रचलित   रूढ़िवादी  मान्यताओं  के  विरुद्ध   आवाज  उठाई  तो  कुछ   पुरातन पंथियों   ने   न  केवल   उनका  विरोध  करना  शुरू  किया  ,  बल्कि  उनको  व  उनके   सहयोगियों  को   भाँति - भाँति   से  प्रताड़ित   करना  भी   प्रारम्भ  कर  दिया   l   इन  सबसे  दुःखी   होकर   उनके  एक   शिष्य  ने  उनसे   एक  दिन  कहा  ---- " अब  बहुत  हो   चुका  !   आपकी  प्रार्थना  तो  भगवान   सुनते  हैं  ,  आप  उनसे   इन  दुष्टों   की  मृत्यु  का  आशीर्वाद  मांग  लीजिए  l  "  मार्टिन  लूथर  बोले  ----  "  यदि  मैं  भी  ऐसी  कामना  करूँ   तो  मुझमें    और  इन  नासमझों  में   क्या  अंतर  रह  जायेगा   ?  "   उनका  शिष्य   पुन:  बोला ---- " पर  आप  इन  जल्लादों  की  प्रवृति  तो  देखिए  l   ये   आप  जैसे  संत , दयालु   और  परोपकारी    के  साथ  कैसा  दुर्व्यवहार  करते  हैं   ?  "   मार्टिन  लूथर   बोले   ----- " इनके  और   मेरे  कर्मों   का  हिसाब   उसे  ही  रखने  दो  ,  जिसने  यह  दुनिया  बनाई  है  l   हमारा  कार्य  है    राग  व  द्वेष  से  मुक्त  होकर   शुभ  व  श्रेष्ठ   कर्मों  को  करना   l   धर्म   की   राह   पर  चलने  वाला   अंतत:  विजयी  ही   होता है   l "  यह  सुन  कर     उनके  शिष्य  का  माथा   स्वत:  ही  उनके  चरणों  में  झुक  गया   l 

WISDOM -----

   रामतनु  लाहिड़ी  कलकत्ता  के  प्रसिद्ध   समाज सुधारक  थे  l   एक  बार  वे  अपने  मित्र  के  साथ  कहीं  जा  रहे  थे   कि   उनकी  दृष्टि  सामने  से  आते  एक  व्यक्ति  पर  पड़ी  l  अभी  तक   उस व्यक्ति  ने  लाहिड़ी  जी  को  नहीं  देखा  था   l   वे  तुरंत  एक  पेड़  की  आड़  में  छिप  गए   और  उस  व्यक्ति  के  निकल  जाने  के  बाद  ही  वहां  से  निकले   l   उनके  मित्र  को  उनका  यह  व्यवहार  कुछ   विचित्र    सा  लगा  l    उसने  उनसे  ऐसा  करने  का  कारण  पूछा   तो  वे  बोले ---- " उन  सज्जन  ने  मुझसे  कुछ  रुपयों  का  उधार  लिया   है ,  हर  बार  मेरे  सामने  पड़ने  पर   वे  अनेक  प्रकार  के  झूठे  बहाने  बनाते  हैं  ,  जिससे  मेरा  मन  बड़ा  दुःखी   होता  है  l   धर्म   सिर्फ  स्वयं  द्वारा  किए   गए   सत्कर्मों  को   नहीं  कहते  ,  वरन  दूसरे   के  अनीतिपूर्ण   आचरण   को  न  होने   देना  भी   धार्मिकता  की  सच्ची  पहचान  है  l  "  उनका  उत्तर  सुनकर  उनके  मित्र  बड़े  प्रभावित  हुए  l