20 April 2024

WISDOM -----

   इस  संसार  में  आरम्भ  से  ही  देवता  और  असुरों  में  संघर्ष   चला  आ  रहा  है  l  असुर  भी  सामान्य  मनुष्य  की  तरह  ही  होते  हैं  ,  उनके  कहीं  कोई  सींग , विशेष  आकृति  नहीं  होती  l  वास्तव  में  असुरता  एक  प्रवृत्ति  है   l  कैसे  समझें  की  असुरता  कहाँ  है  ?   पं . श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं ---- " ज्ञान , शक्ति  और  सामर्थ्य  का  जहाँ  दुरूपयोग   हो  रहा  है  ,  वहीं   असुरता  है  l  "  आचार्य श्री  लिखते  हैं --- " ज्ञान  का  अर्जन  दुर्लभ  है  , परन्तु  उसका  समुचित  उपयोग    अति  दुर्लभ  है  l  इस  स्रष्टि  में   प्रतिभा  की  , कला  की  , विद्या -ज्ञान -शक्ति  और  सामर्थ्य  की  कोई  कमी  नहीं  है   l  असुरों  से  श्रेष्ठ  तपस्वी  इस  संसार   अन्यत्र   कहीं  नहीं  है   लेकिन  उनका  सारा  ज्ञान ,  उनकी  समूची  सामर्थ्य    उनके  अहंकार  की  तुष्टि   और  भोग -विलास  के  साधन  जुटाने  में  खप  रही  है  l  "  आज  संसार  में   ज्ञान , शक्ति  और  सामर्थ्य  का  ही  दुरूपयोग  हो  रहा  है , सारे  संसार  में  असुरता  का  बोलबाला  है  ,  देवत्व  तो  कहीं  छिप  गया  है   l  अब  असुर  ही  आपस  में  लड़  रहे  हैं  l  असुरों  के  पास  ज्ञान  है , धन संपदा  अथाह  है  लेकिन  दया , करुणा , संवेदना  आदि  सद्गुणों  की  कमी  है   इसलिए  वे  आपस  में  ही  लड़  रहे  हैं  l  आज  संसार  की  सबसे  बड़ी  जरुरत  ' सद्बुद्धि ' की  है  l  सद्बुद्धि  होगी  तो    लड़ाई -झगड़े , वैर -भाव  सब  समाप्त  हो  जाएंगे  l