18 January 2019

WISDOM ----- सौभाग्य और दुर्भाग्य जीवन के दो पहलू हैं

 जब  जीवन  में  कुछ  अच्छा  घटने  वाला  होता  है   तो  उसका  पूर्व  संकेत  मिल  जाता  है   किन्तु  दुर्भाग्य   बिना  पूर्व  संकेत  के  अचानक  आ  जाता  है    क्योंकि  यह  बीते  कल  के  सभी  दुष्कर्मों  की  परिणति   है   जिसे  भोगना  है   l   ऐसा  सबके  साथ  होता  है  --- भगवान  राम  के  राज्याभिषेक  की   तैयारी   थी   किन्तु  दुर्भाग्य  कानोकान  खबर  दिए  बगैर  आया  और  राम  को  राज्याभिषेक  के  स्थान  पर  चौदह  वर्ष  का  वनवास  हो  गया  , l  यहाँ  भी  दुर्भाग्य  ने  पीछा  नहीं  छोड़ा  , रावण  ने  सीताजी  का  हरण  कर  लिया  l 
   इसी  तरह  महाभारत  में  पांडव  लगातार  संघर्ष  कर  रहे  थे  और  धर्म  के  मार्ग  पर  थे  l  युद्ध  में   वीरता  से  लड़  रहे  थे  l  स्वयं  भगवान  कृष्ण  उनके  साथ  थे   लेकिन  दुर्भाग्य  की  ऐसी   काली    छाया   पड़ी  कि  अर्जुन  का  पुत्र ,  भगवान  कृष्ण  का  भानजा  अभिमन्यु  चक्रव्यूह   में  फंसकर  अधर्मियों  के  हाथों  मारा  गया  l  युद्ध   समाप्ति  पर  था  और  द्रोपदी  के  पाँचों  पुत्रों  का  वध  हो  गया  l 
 दुर्भाग्य  का  आक्रमण  ऐसा  होता  है  कि पल  भर  में  सब  कुछ  बदल  जाता  है  l 
  ऋषियों  का  मत  है  कि  जो  प्रारब्ध  भोग  है ,  वह  तो  भोगना  ही  है   लेकिन  यदि  सुख - सौभाग्य  के  समय  सेवा , परोपकार  जैसे  श्रेष्ठ  कार्य  किये  जाएँ  तो  दुःख  की  चुभन  कम  हो  जाती  है   l 
 इसलिए  सुख  के  समय  हमें  जागरूक  रहना  चाहिए   कभी  किसी  का  दिल  न  दुखाए,  किसी  को  शारीरिक  मानसिक  कष्ट  न  दे  ,  ईमानदारी  से  कर्तव्यपालन  करे  ,  यही  तपस्या  है  l