17 February 2022

WISDOM ------

 पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  लिखते  हैं ----- ' बगुला  उस  आकार  की  मछली  पकड़ता  है  जो  उसकी  चोंच  में  समा   सके  और  गले  के  नीचे  उतर  सके   ,  जो  इससे  बड़ी  होती  है    उसे  वह  नहीं  छेड़ता   l   समाज  में  कुछ   व्यक्ति  ऐसे  ही   होते  हैं  जो  हर  समय  शिकार  ढूंढते  हैं  और  घात  लगाते   हैं   l    अपने    से  कमजोर  पड़ने  वाले  पर  हमला  बोलते  हैं   l   सीधे  आक्रमण  महंगा  पड़ता  दीखे   तो  छल - छद्म   की   कुटिलता  बरतते  हैं   l   विरोधियों  को  आपस  में   लड़ा  कर  कमजोर  करते  हैं   फिर  दोनों  को  ही  एक - एक  कर  के  निगल  जाते  हैं   l   चोर -  चोर आपस  में  लड़ते  नहीं ,,  वरन  मतलब  की  दोस्ती    गांठते  हैं   और  मौसेरे  भाई   बन जाते  हैं  ,  अनाचारों  में  एक  दूसरे  का  सहयोग  देते   और  लाभ  में  हिस्सा  बंटाते   हैं  l   शिकार  ढूंढते  समय  वे  इस  बात  का  ध्यान  रखते  हैं   कि   दुर्बल  या  सज्जन  पर  ही  हमला  बोला     जाये  l  "  आचार्य श्री  कहते  हैं  ये  दोनों   ही प्रतिरोध  नहीं  करते   इसलिए   उनके  आक्रमण  का  शिकार  होते  हैं   l    अनेक   मित्र   संबंधी    उनकी  मंडली  में  होते  हैं  ,  इन्हे  नर  पिशाच  कहते  हैं   l