27 October 2018

WISDOM ----- उचित दंड न हो तो अनीति एवं अनाचरण अपने चरम पर पहुँच जायेंगे , अत: इनका दमन आवश्यक है l

    दण्डो  दमयतामस्मि  l  ----श्रीमद् भगवद्गीता  
 गीता में  भगवान  श्रीकृष्ण   कहते  हैं  - मैं  दमन  करने  की  शक्ति  हूँ  l   भगवान  कहते  हैं  दमन  पाशविक  भी  है  और   ईश्वरीय  विभूति  भी  है   l 
 भगवान  कृष्ण  आगे  कहते  हैं  कि  दमन  यदि  विवेकहीन ,  औचित्यहीन ,   व  नीतिहीन  हो  तो   आसुरी  एवं  पाशविकता  का  परिचय  प्रदान  करता  है  ,  घोर  संकट  का  कारण  बन  जाता  है   तथा  मनुष्य  , समाज  एवं  स्रष्टि  को  भारी  क्षति  पहुँचाता  है   l 
  परन्तु   यदि    अन्याय,  अनीति , अनाचार , दुराचार , शोषण , भ्रष्टाचार   का  दमन  किया  जाता  है   तो  दमन  ईश्वरीय  विभूति  के  रूप  में  अलंकृत  होता  है   l  जो  इसे  करने  का  साहस  दिखाता  है   ,  दंड  उसके  हाथों  में   ईश्वरीय  शक्ति  के   रूप  में  शोभित  होता  है  l  
  मनुष्य  का    अनियंत्रित  और  असंतुलित  आचरण  व्यापक  विनाश  का  कारण  बनता  है   l  अत:  स्रष्टि   के  संतुलन  को  बनाये  रखने  के  लिए   भगवान  ने  दंड  विधान  की   व्यवस्था  प्रदान  की  है   l