दण्डो दमयतामस्मि l ----श्रीमद् भगवद्गीता
गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं - मैं दमन करने की शक्ति हूँ l भगवान कहते हैं दमन पाशविक भी है और ईश्वरीय विभूति भी है l
भगवान कृष्ण आगे कहते हैं कि दमन यदि विवेकहीन , औचित्यहीन , व नीतिहीन हो तो आसुरी एवं पाशविकता का परिचय प्रदान करता है , घोर संकट का कारण बन जाता है तथा मनुष्य , समाज एवं स्रष्टि को भारी क्षति पहुँचाता है l
परन्तु यदि अन्याय, अनीति , अनाचार , दुराचार , शोषण , भ्रष्टाचार का दमन किया जाता है तो दमन ईश्वरीय विभूति के रूप में अलंकृत होता है l जो इसे करने का साहस दिखाता है , दंड उसके हाथों में ईश्वरीय शक्ति के रूप में शोभित होता है l
मनुष्य का अनियंत्रित और असंतुलित आचरण व्यापक विनाश का कारण बनता है l अत: स्रष्टि के संतुलन को बनाये रखने के लिए भगवान ने दंड विधान की व्यवस्था प्रदान की है l
गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं - मैं दमन करने की शक्ति हूँ l भगवान कहते हैं दमन पाशविक भी है और ईश्वरीय विभूति भी है l
भगवान कृष्ण आगे कहते हैं कि दमन यदि विवेकहीन , औचित्यहीन , व नीतिहीन हो तो आसुरी एवं पाशविकता का परिचय प्रदान करता है , घोर संकट का कारण बन जाता है तथा मनुष्य , समाज एवं स्रष्टि को भारी क्षति पहुँचाता है l
परन्तु यदि अन्याय, अनीति , अनाचार , दुराचार , शोषण , भ्रष्टाचार का दमन किया जाता है तो दमन ईश्वरीय विभूति के रूप में अलंकृत होता है l जो इसे करने का साहस दिखाता है , दंड उसके हाथों में ईश्वरीय शक्ति के रूप में शोभित होता है l
मनुष्य का अनियंत्रित और असंतुलित आचरण व्यापक विनाश का कारण बनता है l अत: स्रष्टि के संतुलन को बनाये रखने के लिए भगवान ने दंड विधान की व्यवस्था प्रदान की है l