श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं ---- ' जैसे जल में चलने वाली नाव को वायु हर लेती है , वैसे ही विषयों में विचरती हुई इन्द्रियों में से मन जिस इन्द्रिय के साथ रहता है , वह एक इन्द्रिय ही इस पुरुष की बुद्धि को हर लेती है l ' पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं ---- ' हिरन , हाथी , पतंगा , मछली और भौंरा , ये अपने - अपने स्वभाव के कारण पांच विषयों में से किसी एक में आसक्त होने के कारण मृत्यु को प्राप्त होते हैं , तो इन पांच विषयों से जकड़ा हुआ असंयमी व्यक्ति कैसे बच सकता है ? इसलिए मनुष्य को बहुत सावधान रहना चाहिए l एक ही इन्द्रिय काफी है , जो मनुष्य को पतन की ओर ले जा सकती है l " पुराण में एक कथा है ----- द्धापर युग में एक असुर था , उसका नाम था -- शंबरासुर l उसने भगवान श्रीकृष्ण के बड़े पुत्र प्रद्युम्न का हरण कर लिया था l रति भी उसी के यहाँ कैद थी l शंबरासुर पाककला में निपुण स्त्रियों का ही अधिकतर हरण करता था l उसकी पाकशाला सदैव सजी रहती थी l उसे खाने का बड़ा शौक था l वह चाहता था कि उसकी पाकशाला में बढ़िया से बढ़िया खाना बने और उसे खिलाया जाये l वह किसी स्त्री की खूबसूरती को नहीं देखता था , न ही उन्हें हाथ लगाता था l उन स्त्रियों का पाककला में पारंगत होना जरुरी था l प्रद्युम्न ने शंबरासुर को मारकर अगणित स्त्रियों को मुक्त कराया l मात्र एक इन्द्रिय ही उस असुर के पतन का कारण बनी --- सुस्वादु आहार का सेवन l दिन - रात उसी का चिंतन