14 March 2021

WISDOM ------

     वैश्वीकरण   की  इस  दुनिया  में  सब  कुछ  बिकता  है  ,  केवल  वस्तुएं  ही  नहीं   मनुष्य  भी  बिकाऊ  है  l  एक   वस्तु     के  साथ  एक  फ्री   मिलती  है  l   चकाचौंध  की  इस  दुनिया  में   स्वार्थ , लालच , कामना , वासना   जैसी  मानसिक  विकृतियाँ  भयावह  हो   गईं   हैं   l   गरीब  व्यक्ति  तो  मज़बूरी  में  ,  अपना  और  अपने  परिवार  का पेट  भरने  के  लिए   ही  बिकता  है  लेकिन  जब  धन , वैभव  और  शक्ति  से  संपन्न  व्यक्ति  बिकता  है   तो  वह  अपने  साथ   फ्री   में   अपना  आत्मसम्मान  भी    दे    देता  है   और  शेष  जीवन  किसी  के  हाथ  की  कठपुतली  बन  कर  रहता  है   और  दुर्बुद्धि  ऐसी   कि   वह  इसी  में  अपने  जीवन  को  धन्य  समझता  है   l        जिनके  पास  विवेक  है ,   स्वाभिमान  है   वे  कष्ट  सह  लेते  हैं    लेकिन  अपने  आत्मसम्मान   को   किसी  भी  कीमत  पर  नहीं  खोते   l ------------           कार्ल  मार्क्स   लंदन   में  निर्वासित  जीवन  जी  रहे  थे   l   फ़्रांस  और  जर्मनी  की  सरकारों  ने  उन्हें  क्रांतिकारी   घोषित  कर  रखा  था   l   लंदन   प्रवास  के  दौरान  उन्हें  घोर  आर्थिक  कठिनाइयों  का  सामना  करना  पड़ा   l   यहाँ  तक   कि   उनके  दो  बच्चों  की  मृत्यु   भी गरीबी  के  कारण  हो  गई   l   उन  दिनों  जर्मनी  के  प्रधानमंत्री   बिस्मार्क  थे   l   बिस्मार्क  ने   मार्क्स  को  प्रलोभन  देकर  खरीदने  की  सोची  ,  ताकि  उनके  प्रभाव  को  कम   किया  जा सके  l   इस  आशय  का  प्रस्ताव  उन्होंने  मार्क्स  को  भिजवाया   ,  परन्तु   मार्क्स  अपने  लक्ष्य  --- जनकल्याण  के  प्रति    निष्ठावान  रहे  l   वे  ख़रीदे  नहीं  जा  सके  l   उनकी  सिद्धांतनिष्ठा  ने  ही  उन्हें  महान  बनाया   l