10 October 2023

WISDOM ---

   यह  मानव  जाति  का  दुर्भाग्य  है  कि  अब  लोगों  को  युद्ध , हिंसा , दंगे , फसाद , अपहरण  ------  आदि  के  बीच  भय  और  तनाव  के  साथ  जीने  की  आदत  बन  गई  है  l  इसका  कारण  स्पष्ट  है   --अब  मनुष्य  के  लिए  उसका  स्वार्थ  सर्वोपरि  है  l  परिवार , समाज , संस्थाएं  , राष्ट्र  और  सम्पूर्ण  संसार  में  मनुष्य  की  मन:स्थिति  कुछ  ऐसी  हो  गई  है  कि  वह  अपने  स्वार्थ  को  पूरा  करने  के  लिए   उनकी  खुशामद  करता  है  जो  सशक्त  हैं , दबंग  है , चाहे  उनके  कृत्यों  से  समाज  की  कितनी  भी  हानि  क्यों  न  होती  हो  l  स्थिति  इतनी  विकट  है  कि   असुरता  का  साथ  सब  देते  हैं  क्योंकि  उनसे  तात्कालिक  स्वार्थ  की  पूर्ति  होती  है   और  सत्य  अकेला  रह  जाता  है  , यहाँ  तक  कि  सत्य  और  ईमान  की  राह  पर  चलने  वालों  का  लोग  बायकाट  कर  देते  हैं  l  इसका  परिणाम  यही  होगा  जो  आज  हम  संसार  में  देख  रहे  हैं  l  एक  कथा  है ---- राजा  कृतवीर्य  के  पुत्र  सहस्त्रार्जुन  बहुत  वीर  और  सत्य  के  पथ  पर  अडिग  रहने  वाले   महान  तपस्वी  भी  थे  l  सम्पूर्ण  पृथ्वी  पर  उनकी  ख्याति  थी  l  उनसे  रावण  को  बहुत  ईर्ष्या  होती  थी  l  रावण  को  बहुत  अहंकार  था  , उसने  सहस्त्रार्जुन  पर  आक्रमण  किया  कि  उसके  विशाल  साम्राज्य  पर  अधिकार  कर  ले    l  युद्ध  में  रावण  बुरी  तरह  पराजित  हुआ   और  उसे  बंदी  बना  लिया  गया   l  सहस्त्रार्जुन  ने  उसे  बंदीगृह  में  सम्मान  से  रखा  , यह  सम्मान  रावण  के  अहंकार  को  चुभता  था  l  स्वयं  महर्षि  पुलस्त्य  रावण  को  बंदीगृह  से  मुक्त  कराने  गए  l  सहस्त्रार्जुन  ने  रावण  को  महर्षि  पुलस्त्य  के  बराबर   राजदरबार  में  स्थान  दिया   और  रावण  से  कहा ----- " रावण  !  मैं  तुम्हारी  विद्वता  का  कायल  हूँ   परन्तु  तुम्हारे  नीच  कर्म  पर  मुझे  दया  आती  है  l  रावण !  ध्यान  रखना   दुराचारी  चाहे   कितना  बलवान , शक्तिवान  क्यों  न  हो   , एक  दिन  उसका  दर्दनाक  अंत  होना  सुनिश्चित  है  l  पुण्य  के  क्षीण  हो  जाने  पर   सारा  दंभ  गुब्बारे  की  हवा  की  तरह  निकल  जाता  है   और  बच  जाता  है  शक्ति  के  बल  पर  किया  गया  घोर  पाप  l    रावण  !  तुम  यह  सब  किसके  लिए  कर  रहे  हो   ?  यहाँ  कोई  अजेय  नहीं  है  ,  काल  किसी  को  क्षमा  नहीं  करता  l  मैं  तुम्हे  मुक्त  नहीं  कर  रहा ,  मैं  तुम्हे  काल  के  हवाले  कर  रहा  हूँ  l  मर्यादा   और  सत्य  की  कोई  अवतारी  सत्ता  तुम्हारा  विनाश  करेगी  l  ध्यान  रखना , शक्ति  नहीं , सत्य  ही  विजित  होता  है  l