हमारे महाकाव्य हमें मार्गदर्शन देते हैं की जीवन में आने वाली विभिन्न समस्याओं के कारण को गहराई से समझो और फिर उसका समाधान करो l महामानव सब जानते हैं कि आगे का युग कैसा आने वाला है इसलिए महाभारत और रामायण के माध्यम से उन्होंने संसार को शिक्षण दिया है l छल कपट , षड्यंत्र , लोभ , लालच , महत्वाकांक्षा , आपसी मनमुटाव , ईर्ष्या , द्वेष , सम्पति के झगडे --- ये सब त्रेतायुग और द्वापर युग में भी थे , उस समय इनका प्रतिशत कम था लेकिन कलियुग में इन दुर्गुणों के कारण होने वाली घटनाओं की भरमार है l महाकाव्यों के अध्ययन से एक बात स्पष्ट होती है कि घात तो अपने ही करते हैं , दुःख , धोखा अपने ही देते हैं , गैर तो मौके का फायदा उठाते हैं l भगवान राम को वनवास उनकी विमाता कैकेयी के कारण ही हुआ , किसी गैर के कारण नहीं l श्रीराम तो भगवान थे लेकिन उन्होंने मनुष्य का जन्म लेकर समझाया कि जब परिवार में किसी भी संबंधों में झगडा होता है तभी दूसरे लोग फायदा उठाते l यदि भगवान राम अयोध्या में ही रहते तो रावण उस ओर देख भी नहीं सकता था , जब वन गए ( मनुष्य रूप में --) तभी रावण को सीताजी के अपहरण का मौका मिला l इसी तरह महाभारत में दुर्योधन हस्तिनापुर का युवराज था , इतना बड़ा साम्राज्य , कोई कमी नहीं थी लेकिन ईर्ष्या , द्वेष इतना था कि शकुनि के साथ मिलकर सारा जीवन छल -कपट और षड्यंत्र कर के अपने ही भाइयों को दुःख देता रहा l ये प्रसंग शिक्षा देते हैं कि चाहे पारिवारिक झगड़े हों या जाति और धर्म के नाम पर होने वाले झगड़े हो , कहीं कोई रावण है जो आएगा , आपकी संस्कृति को नष्ट करेगा l कहीं कोई शकुनि है जो आपके पास जो थोडा बहुत सुख -चैन है , उसे भी अपनी कुटिल चाल से छीन लेगा l आज की सबसे बड़ी जरुरत है मन को शांत रखकर जागरूक और चौकन्ना रहने की l