4 September 2023

WISDOM -----

 इस  संसार  में   शुरू  से  ही  देवता  और   असुरों  में ,  अँधेरे  और  उजाले  में  संघर्ष  रहा  है   l   अंधकार  को  सबसे  ज्यादा  भय   उजाले  से  लगता  है  l प्रकाश  आते  ही  अंधकार  का  अस्तित्व  ही  समाप्त  हो  जाता  है  l  यह  लड़ाई  ही  अस्तित्व  की  है  l   असुरता  ही  अंधकार  है  l  आसुरी  प्रवृति  के  लोगों  में   स्वार्थ , अहंकार , लालच , महत्वाकांक्षा  , छल , कपट , , धोखा , षड्यंत्र ,  छिपकर  वार   करना ------जैसी  बुराइयाँ  एक  सीमा  से  भी  ज्यादा  होती  हैं   इसलिए  ये  अपने  अस्तित्व  की  रक्षा  के  लिए  किसी  भी  हद  तक  जा  सकते  हैं  l  हिरण्यकश्यप   ने  अपने  पुत्र  प्रह्लाद   को  सताने  में  कोई  कसर  नहीं  छोड़ी  l  दुर्योधन  , दुशासन  ने  अपनी  ही  कुलवधु    द्रोपदी  को  भरी  सभा  में  अपमानित  किया   l  ऐसे  असंख्य  उदाहरण  हैं   जो  इस  बात  को  स्पष्ट  करते  हैं  कि   जब  भी  कोई  सफलता  के  मार्ग  पर ,   सच्चाई   के  रास्ते  पर  आगे  बढ़ता  है  तो   नकारात्मक  शक्तियां   उसके  लक्ष्य  तक  पहुँचने  के  मार्ग  पर   अनेकों  बाधाएं  उपस्थित  करती  हैं  ,  उनका  एकमात्र  उदेश्य  होता  है   कि  ऐसे  व्यक्ति  को  मानसिक  रूप  से  इतना  उत्पीड़ित  कर  दो  कि  वह   जंग  हार  जाये  l   लेकिन  उगते  हुए  सूरज  को  कोई  रोक  नहीं  सका  है  l  यदि  लक्ष्य  श्रेष्ठ  हो , ऊँचा  हो   और  संकल्प  दृढ  हो   तो  सारी  कायनात  मदद   करती  है  l  हमें  ईश्वर  की  सत्ता  पर  विश्वास  होना  चाहिए   l  आत्मविश्वास  ही  ईश्वर  विश्वास  है  l  विद्वानों  का  कहना  है ----- 'अपने  मन  को  मत  गिरने  दो ,  लोग  गिरे  हुए  मकान  की  ईंटे  उठाकर  ले  जाते  हैं  लेकिन  खड़ी  इमारत  को  कोई  हाथ  भी  नहीं  लगाता  l  '    

WISDOM -----

  1 .-- एक  गाँव  में  आग  लग  गई  l  सभी  तो  सुरक्षित  भाग  निकले  ,  पर  दो  व्यक्ति  ऐसे  थे   जो  भाग  नहीं  सकते  थे  --- एक  अँधा  था  , एक  पंगा  l दोनों  ने  एकता  स्थापित  की  ,  अंधे  ने  पंगे  को  कंधे  पर  बैठा  लिया   l  पंगा  रास्ता  बताने  लगा   और  अँधा  तेज  दौड़ने  लगा   l  दोनों  सकुशल  बाहर  आ  गए   l  सहयोग  का  अर्थ  ही  है ----   अनेक  तरह  की  सामर्थ्यों  से   परिपूर्ण  शक्ति  का  उद्भव  l  


WISDOM -----

 द्वितीय  विश्व युद्ध  चल  रहा  था  l  महर्षि  अरविन्द  को  एहसास  हुआ  कि   आश्रम  के  कुछ  अंतेवासी  मन -ही -मन  हिटलर  की  विजय  की  दुआ  करने  लगे  हैं  l  आपस  की  चर्चाओं  में  भी  कभी -कभी   यह  बात  आ  ही  जाती  थी  l  श्री  अरविन्द  ने  तत्कालीन  कार्यकर्ताओं  की   शाम  की  एक  बैठक  में  कहा  कि  ---- " जो  लोग  ऐसा कर  रहे  हैं  , वे  असुरता  की  विजय  चाहते  हैं  l  भारतीय  मूल्य  हमें  ऐसा  नहीं  करने  देंगे  l  ऐसे  व्यक्ति  जो  हिटलर  की  विजय  की  इच्छा  रखते  हैं  ,  आश्रम  से  चले  जाएँ  l  प्रश्न  मूल्यों  का  है  l  हम  परमात्मा  की , आदर्शों  की  विजय  चाहते  हैं  l  "   आचार्य श्री  कहते  हैं  ---- यह  प्रसंग  हम  सबके  लिए  एक  सन्देश  है  l  हमें  मूल्य  आधारित  जीवन  जीना  है  l  श्रीकृष्ण  ने  अर्जुन  से  यही  कहा  था  कि  तू  मोहग्रस्त  होकर  भीष्म  और  द्रोणाचार्य  को  देख  तो  रहा  है  ,  उन्हें  न  मारने  की  दलीलें  भी  दे  रहा  है  ,  पर  तुझे  यह  नहीं  दिखाई  देता  कि  वे   दुर्योधन  के --अनीति  के  संरक्षक  भी  हैं  l   आज  जब  सारा  संसार  एक  मंच  पर  है  और  कुछ  लोगों  के   स्वार्थ ,  अहंकार  और  महत्वाकांक्षा   के  दुष्परिणाम  झेल  रहा  है   , ऐसे  में  श्री  अरविन्द  का  यह  प्रसंग  और  भगवान  श्रीकृष्ण  का  गीता  में  यह  संदेश  संसार  को  जागरूक  करने  के  लिए   है  l