इस संसार में शुरू से ही देवता और असुरों में , अँधेरे और उजाले में संघर्ष रहा है l अंधकार को सबसे ज्यादा भय उजाले से लगता है l प्रकाश आते ही अंधकार का अस्तित्व ही समाप्त हो जाता है l यह लड़ाई ही अस्तित्व की है l असुरता ही अंधकार है l आसुरी प्रवृति के लोगों में स्वार्थ , अहंकार , लालच , महत्वाकांक्षा , छल , कपट , , धोखा , षड्यंत्र , छिपकर वार करना ------जैसी बुराइयाँ एक सीमा से भी ज्यादा होती हैं इसलिए ये अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं l हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रह्लाद को सताने में कोई कसर नहीं छोड़ी l दुर्योधन , दुशासन ने अपनी ही कुलवधु द्रोपदी को भरी सभा में अपमानित किया l ऐसे असंख्य उदाहरण हैं जो इस बात को स्पष्ट करते हैं कि जब भी कोई सफलता के मार्ग पर , सच्चाई के रास्ते पर आगे बढ़ता है तो नकारात्मक शक्तियां उसके लक्ष्य तक पहुँचने के मार्ग पर अनेकों बाधाएं उपस्थित करती हैं , उनका एकमात्र उदेश्य होता है कि ऐसे व्यक्ति को मानसिक रूप से इतना उत्पीड़ित कर दो कि वह जंग हार जाये l लेकिन उगते हुए सूरज को कोई रोक नहीं सका है l यदि लक्ष्य श्रेष्ठ हो , ऊँचा हो और संकल्प दृढ हो तो सारी कायनात मदद करती है l हमें ईश्वर की सत्ता पर विश्वास होना चाहिए l आत्मविश्वास ही ईश्वर विश्वास है l विद्वानों का कहना है ----- 'अपने मन को मत गिरने दो , लोग गिरे हुए मकान की ईंटे उठाकर ले जाते हैं लेकिन खड़ी इमारत को कोई हाथ भी नहीं लगाता l '
4 September 2023
WISDOM -----
1 .-- एक गाँव में आग लग गई l सभी तो सुरक्षित भाग निकले , पर दो व्यक्ति ऐसे थे जो भाग नहीं सकते थे --- एक अँधा था , एक पंगा l दोनों ने एकता स्थापित की , अंधे ने पंगे को कंधे पर बैठा लिया l पंगा रास्ता बताने लगा और अँधा तेज दौड़ने लगा l दोनों सकुशल बाहर आ गए l सहयोग का अर्थ ही है ---- अनेक तरह की सामर्थ्यों से परिपूर्ण शक्ति का उद्भव l
WISDOM -----
द्वितीय विश्व युद्ध चल रहा था l महर्षि अरविन्द को एहसास हुआ कि आश्रम के कुछ अंतेवासी मन -ही -मन हिटलर की विजय की दुआ करने लगे हैं l आपस की चर्चाओं में भी कभी -कभी यह बात आ ही जाती थी l श्री अरविन्द ने तत्कालीन कार्यकर्ताओं की शाम की एक बैठक में कहा कि ---- " जो लोग ऐसा कर रहे हैं , वे असुरता की विजय चाहते हैं l भारतीय मूल्य हमें ऐसा नहीं करने देंगे l ऐसे व्यक्ति जो हिटलर की विजय की इच्छा रखते हैं , आश्रम से चले जाएँ l प्रश्न मूल्यों का है l हम परमात्मा की , आदर्शों की विजय चाहते हैं l " आचार्य श्री कहते हैं ---- यह प्रसंग हम सबके लिए एक सन्देश है l हमें मूल्य आधारित जीवन जीना है l श्रीकृष्ण ने अर्जुन से यही कहा था कि तू मोहग्रस्त होकर भीष्म और द्रोणाचार्य को देख तो रहा है , उन्हें न मारने की दलीलें भी दे रहा है , पर तुझे यह नहीं दिखाई देता कि वे दुर्योधन के --अनीति के संरक्षक भी हैं l आज जब सारा संसार एक मंच पर है और कुछ लोगों के स्वार्थ , अहंकार और महत्वाकांक्षा के दुष्परिणाम झेल रहा है , ऐसे में श्री अरविन्द का यह प्रसंग और भगवान श्रीकृष्ण का गीता में यह संदेश संसार को जागरूक करने के लिए है l