25 July 2020

WISDOM ------- मनुष्य अपने कार्य और विचारों से प्रकृति को अपनी पसंद बताता है

  प्रकृति  मनुष्य  को  वही  देती  है  ,  जो  उसे  पसंद  है  l  यह  मनुष्य  की   अयोग्यता  ही  कही  जाएगी  कि   वह  अपनी  पसंद  भी  ठीक  तरह  से  बता  नहीं  पाता  l   व्यक्तिगत  पसंद  के  साथ  सामूहिक  पसंद  भी  होती  है   l   यदि  समाज  में , संसार  में  अधिकांश  लोग   किसी  तरह  का  एक  जैसा  व्यवहार  कर  रहे  हैं  ,  तो  प्रकृति  में  यह  सन्देश  जाता  है  कि   लोगों  को  यही  पसंद  है  , फिर  प्रकृति  किसी  न  किसी  माध्यम  से   वैसा  ही  वातावरण   संसार  को  देती  है  l ----  जैसे --- संसार  में  किसी  देश  में  जातिगत   छुआछूत  है ,  जो   लोग  अपने  को  श्रेष्ठ  समझते  हैं    वे  अपने  से  निम्न  जातियों  के  लोगों  के  साथ  उपेक्षा  का , अपमान  का  व्यवहार  करते  हैं  l   जिन  देशों  में  रंग भेद  है  ,  वहां  गोरे   लोग  ,  काले   लोगों  के  साथ  उपेक्षित  व्यवहार  करते  हैं  l   शिक्षित  होने  के  बावजूद  भी   अब  तक  पुरुष   स्वयं  को  नारी  से  श्रेष्ठ  समझता  है  l ---- मनुष्य  ऐसा  व्यवहार  युगों  से  करता  आ  रहा  है  l   इस  कारण  प्रकृति  को  यह  बात  स्पष्ट  हो  गई    कि   मनुष्य  को  ऐसा  उपेक्षा  ,  अपमान  का  व्यवहार  अच्छा  लगता  है  l
  वर्तमान  में  इस  महामारी  ने   संसार  से  संवेदना  समाप्त  कर  दी     और   इस  महामारी  का  लक्षण  होने  पर    उपेक्षा , अपमान ,  ' दूर  रहो ' की  स्थिति   पैदा  कर  दी  l   दुःख - दर्द  और  गरीबी    के  मारे   लोगों  के  प्रति  सहयोग   की  भावना  को  ही  ग्रहण  लग  गया  l
  इस  महामारी  का  कारण   कोई  वायरस  हो  या  ' कुछ  और  हो '  l   जो  छूतछात ,  भेदभाव  मनुष्य  करता  आ  रहा  है  ,  वैसी  ही  स्थिति  संसार  में   पैदा  हो  गई  l
  इस  स्थिति  से  मनुष्य  को  सबक  लेना  चाहिए  l   जब  जागो  तब  सवेरा  l   हम  संवेदनशील  बने  l   प्रेम ,  आत्मीयता  ,  अपनत्व , सहृदयता  , भाईचारा , सहयोग , सहानुभूति     के  व्यवहार  को   संसार  में  फैलाएं  l   ईश्वर  में  विश्वास  रखें  ,  ईश्वर  ने  हमें  जितनी   श्वास    दी  हैं  ,  उन्हें  कोई  नहीं  छीन  सकता  l