3 September 2020

WISDOM ----- कर्मफल

  असुर  कठोर  तप  कर  के   अपनी  मृत्यु  को  असंभव  बना  देने  वाले  वरदान  मांगते  हैं   l   ये  इन्हे  मिल  भी  जाते  हैं  l   फिर  सही  समय  पर , सही``  स्था`न   में   उनकी  मृत्यु --- उन्ही  के  बताए   रास्ते  के  अनुसार   उन्हें  खोज  लेती  है   l   उनके  वरदान  के  अनुसार  ही  प्रकृति  उनकी  मृत्यु  का  स्वरुप  व  स्थान  तय  करती  है  l   मृत्यु  से  बचने  का  कोई  प्रयास  उनके    काम  नहीं  आता  l  पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  ने  लिखा  है ---- ' जब  किसी  स्थान  में  कोई   किसी  कर्म  को  संपन्न  करता  है   तो  तत्काल  प्रकृति   इसके  परिणाम  देने  की  व्यवस्था  करने  लगती  है  l   परिणाम    का  स्थान  व  समय  काल  निश्चित  करता  है  l   शुभ  कर्म  नियत  स्थान  और  निश्चित  समय  पर  शुभ  फल  देता  है    और  अशुभ  कर्म  अशुभ  फल  देता  है  l 

WISDOM -----

   हमारा   शरीर  व  मन   --- हम  जो  भोजन  करते  हैं , जहाँ  का  पानी  पीते  हैं  ,  जिस  वायुमंडल  में  रहते  हैं  ,  जिस  मिटटी  में   रहते  हैं  उससे  प्रभावित  होता  है  l  यदि  हमने  किसी  ऐसे  व्यक्ति  के  यहाँ  भोजन  किया   जो  राक्षसी  प्रवृति  का  है   या   पाप  की  कमाई  का  अन्न   ग्रहण    किया  है   तो  हमारी  प्रवृतियाँ   भी  कुत्सित  हो  जाएँगी  l   इसी  तरह  आसपास  का  वातावरण  भी  हमारे  मन  को  प्रभावित  करता  है  l 

  वाल्मीकि  रामायण   में प्रसंग  है   कि   रावण  के  यहाँ  रहने  पर  भी  सीताजी  अपवित्र  नहीं  होंगी  l   यह  कैसी  महिमा  है  ?    रावण  के  यहाँ  सीता जी  ने  एक  वर्ष  तक  भोजन  नहीं  किया  l   जब  रावण  के  यहाँ  सीता  जी  गईं ,  तो  महर्षि  अगस्त्य  और  महर्षि  अत्रि  की  प्रेरणा  से    देवराज  इंद्र  पहुंचे    और  माता  सीता  को  खीर  खिलाई  ,  और  उस  खीर  के  प्रभाव  से  माता  सीता  को  भूख  ही  नहीं  लगी   और  न  शरीर  में  कोई  कमी  महसूस  हुई  l   माता  अनसूया  ने  उन्हें   दिव्य  वस्त्र  और  आभूषण  दिए  ,  इससे  उनको  कोई  वस्त्र  परिवर्तन  की  आवश्यकता  नहीं  हुई  ,  वो  स्वत:   ही   रोज  स्वच्छ  हो  जाते  हैं  ,  ते  नित  नूतन  -- रोज  नए , रोज  साफ  l