' आधी छोड़ सारी को धावे , आधी मिले न सारी पावे l
यह उक्ति इस संदर्भ में है कि युगों की दासता के कारण हम अपनी संस्कृति को भुला बैठे l चिकित्सा के क्षेत्र में हमारे यहाँ आयुर्वेद है , नाड़ी विज्ञानं , प्राकृतिक चिकित्सा , योग आदि में आज भी देश में इतने अनुभवी हैं कि उनके मार्गदर्शन में स्वस्थ रहा जा सकता है l
ऐलोपैथी में भी बहुत गुण हैं लेकिन हमें अपनाना वही चाहिए जो हमारे देश की जलवायु , हमारे रहन - सहन और उन पांच तत्वों --- पृथ्वी , जल , अग्नि, वायु और आकाश जिनसे हमारा शरीर बना , उसके अनुकूल हो l
यही स्थिति उन देशों की भी है जिन्होंने वर्षों की गुलामी झेली है और अपनी संस्कृति को भी खो दिया है l और आज ऐसे सभी देश विज्ञान और आधुनिक तकनीक के आगे स्वयं के अस्तित्व को मिटाने पर उतारू हैं l
आचार्य श्री का कहना है -- हमारी हंस वृति होनी चाहिए l ' जैसे हंस दूध पी लेता है , उसका पानी छोड़ देता है l उसी तरह हम श्रेष्ठ को ग्रहण करें l
यह उक्ति इस संदर्भ में है कि युगों की दासता के कारण हम अपनी संस्कृति को भुला बैठे l चिकित्सा के क्षेत्र में हमारे यहाँ आयुर्वेद है , नाड़ी विज्ञानं , प्राकृतिक चिकित्सा , योग आदि में आज भी देश में इतने अनुभवी हैं कि उनके मार्गदर्शन में स्वस्थ रहा जा सकता है l
ऐलोपैथी में भी बहुत गुण हैं लेकिन हमें अपनाना वही चाहिए जो हमारे देश की जलवायु , हमारे रहन - सहन और उन पांच तत्वों --- पृथ्वी , जल , अग्नि, वायु और आकाश जिनसे हमारा शरीर बना , उसके अनुकूल हो l
यही स्थिति उन देशों की भी है जिन्होंने वर्षों की गुलामी झेली है और अपनी संस्कृति को भी खो दिया है l और आज ऐसे सभी देश विज्ञान और आधुनिक तकनीक के आगे स्वयं के अस्तित्व को मिटाने पर उतारू हैं l
आचार्य श्री का कहना है -- हमारी हंस वृति होनी चाहिए l ' जैसे हंस दूध पी लेता है , उसका पानी छोड़ देता है l उसी तरह हम श्रेष्ठ को ग्रहण करें l