1 April 2021

WISDOM -------

 श्री  महादेव  गोविन्द   रानाडे   के  जीवन  का  एक  प्रसंग  है  ---- जिन  दिनों  वे  बम्बई  के   एलफिंस्टन   कॉलेज   में  पढ़ते  थे  ,  वहां  के  प्रिंसिपल  श्री  ग्रांट  ने   ' अंग्रेजी  और  मराठा  शासन  की  तुलना  '  पर  एक  निबंध  लिखने  को  कहा  l   अन्य  सब  लोगों  ने  तो  उस  समय  की  हवा  के  अनुसार   अंग्रेजी  राज्य  की   अच्छाइयों  का  ही  गुणगान  किया  ,  पर  रानाडे   उस  श्रेणी  से  बहुत  ऊपर  थे  l   उन्होंने   अनेक   प्रमाण  देकर   यह  प्रमाणित  किया   कि   मराठों   का  शासन  अधिक  प्रशंसनीय  था   l   इस  पर    ग्रांट  साहब  बहुत    नाराज  हुए   और  रानाडे  को  बुलाकर   कहा --- ---' तुम्हे  उस  सरकार   की   निंदा  नहीं  करनी  चाहिए   जो  तुम्हे  शिक्षित  कर  रही  है    और  तुम्हारी  जाति   के  साथ  इतना  उपकार  कर  रही  है   l  "   ग्रांट  साहब  बहुत  सज्जन  और  विद्वान्  थे   लेकिन  इस  घटना  से  वे   इतने  नाराज  हुए   कि   उन्होंने  छः   महीने  के  लिए   रानाडे  की  छात्रवृत्ति   बंद  कर  दी  l    रानाडे  ने  भी   इस  हानि  को  सहन  करना  स्वीकार  कर  लिया   पर  वे  अपने  विचारों  को  बदलने    के  लिए  तैयार   न  हुए   l   हानि  होने  पर  भी  वे  अपने  सिद्धांत  पर  दृढ़   रहे  , इसी  गुण   ने  और  ऐसे  ही  अनेक  गुणों  ने  उन्हें  महान  बनाया   l