24 August 2020

WISDOM ----- दोष एवं गलतियों का निराकरण - परिमार्जन सबसे बड़ी साधना है ---- पं. श्रीराम शर्मा आचार्य

  आचार्य श्री  लिखते  हैं --- ' महत्वपूर्ण  बात  यह  है  कि   हमें   दोष अपना  देखना  चाहिए  , दूसरों  का  नहीं  l   दूसरों  की  ओर   ताक - झाँक  हमें  आत्मविमुख  कर  देती  है  और  घोर  पतन  की  राह   पर धकेल  देती  है  l 

  अपने  दोषों  को  खोजना   और  दूसरों  से  अपनी  कमियाँ  - खामियाँ   सुनना   बहुत  कठिन  काम  है   l  इन  सब  में  हमारा  अहंकार  आड़े  आता  है  l   आचार्य श्री  लिखते  हैं  --- ' मनुष्य  होने  के  नाते  हम  सब  से  गलतियाँ   होना  स्वाभाविक  है  l  हम  जीवन  के  प्रति  होश  में  रहें  l   यह  सर्वाधिक  महत्वपूर्ण  तथ्य  है  कि  हमें   अपनी  छोटी  सी  गलती  भी   साफ - साफ  दिखाई  दे  l   भूल  को  स्वीकार  करने  का  साहस  हो  l   अगर  कभी  गलती   हो जाये   तो  अपने  को   तथा औरों  को  कोसने  के  बजाय   शांतिपूर्वक   परिस्थिति  व  कारण  की  खोज  करनी  चाहिए   तथा  इसे  न  दोहराने  के  लिए  कटिबद्ध  होना  चाहिए  l   अपनी  कमजोरी  के   छोटे  पक्ष  को  ,  एक  छोटी  सी  गलती  को   अत्यंत  धैर्य  और  साहस  के  साथ    सुधारने  का  प्रयास  करना  चाहिए   l  हमें  हमारे  दोष  बार - बार  गिराते   हैं   और  हम  गिरते   हैं ,  पर  गिरकर  हमें  उठना  नहीं  आता   l   हर  गलती  से  सीख  लेकर   अगर  हम  उठ  सकें   तो  हमारा  जीवन  पवित्रता  को  पा  सकता  है  ,  यही  अध्यात्म   का प्रवेश  द्वार  है   l  "