5 June 2023

WISDOM ---

   1 . ' मन  से  भी  संयमी  बनो '----  एक  व्यक्ति  ने  कन्फ्यूशियस  से  प्रश्न  किया ---- 'संयमित  जीवन  बिताकर  भी  मैं  रोगी  हूँ  , महात्मन ! ऐसा  क्यों  ? '  कन्फ्यूशियस  ने  कहा ---- "भाई , तुम  शरीर  से  संयमित  हो  ,  पर  मन  से  नहीं  l  अब  जाओ  ईर्ष्या , द्वेष , छल -कपट   करना  बंद  कर  दो   तो  तुम्हे  संयम  का  पूर्ण  लाभ  मिलेगा  l " 

2 .' ह्रदय  शुद्धि  ' -----  भक्त  कर्माबाई  भगवान  पंढरीनाथ  को  पुत्र भाव  से  पूजती  थीं   और  प्रेम  करतीं  l  वे  प्रात:काल  बिना  स्नान  किए  ही  खीर  बनातीं   और  भगवान  का  बाल -भोग  इस   भाव  से   लगातीं  कि  भगवान  को  शैया  त्यागते  ही  भूख  लगती  है  l   एक  दिन  एक  पंडितजी   ने  उन्हें  इस  तरह  बिना  स्नान  के  भोग  लगाते  देखा  तो  कहा --- कर्माबाई  !  भगवान  को  भोग   नहा -धोकर  ही  लगाना  चाहिए  , बिना  स्नान   के  भोग  लगाना  उचित  नहीं  l " कर्माबाई  को  बात  समझ  में  आ  गई   और  उस  दिन  उन्होंने  स्नान  कर  के  ही  भोग  लगाया  l  स्वाभाविक  है  स्नान  आदि  से  निवृत्त  होने  में  कुछ  देर  हो  गई  l  रात  उन्होंने  स्वप्न  में  देखा  ---भगवान  पंढरीनाथ  खड़े  भूख -भूख  चिल्ला  रहे  हैं  l  कर्माबाई  ने  पूछा --- " देव  !  आज  खीर  नहीं  खाई  क्या  ? "  भगवान  बोले ---- " माँ  !  खीर  तो  मैंने  खा   ली  ,  पर  आज  तेरा  वह  प्रेम ,  वह  भावना  नहीं  मिली   जो  रोज  मिला  करती  थी  l "  कर्माबाई  उस  दिन  से   बिना  नहाए  ही   फिर  भोग  चढ़ाने  लगीं  l