12 November 2021

WISDOM -------

  

श्रीमद भगवद्गीता   में  भगवान  कृष्ण  अर्जुन  को  कहते  हैं  कि  ' अशांतस्य कुत:  सुखम   अर्थात   अशांत  व्यक्ति  कभी  सुखी   नहीं  रह  सकता   l   धन  और  सुविधाएँ   व्यक्ति  को  शारीरिक  सुख   तो  दे  सकते  हैं  ,  किन्तु  आत्मिक  आनंद  नहीं  l   सच्ची  शांति  व  आनंद  तो  केवल  संयम   और  संतोष  से  ही  मिलता  है   l  पं. श्रीराम  शर्मा   आचार्य जी  लिखते  हैं  -- संयम  के  माध्यम  से   हमें    शारीरिक  और  मानसिक  स्वास्थ्य  के  साथ   सद्विवेक  का  जागरण  होता  है  , जिससे  हम      अपनी  ऊर्जाओं   और  क्षमताओं  का   सदुपयोग   कर  पाते  हैं  l संयमी  व्यक्ति  ही  जीवन  में  सच्चे  अर्थों  में  सफल  होता  है  , स्वस्थ  रहता  है   और  अपने  जीवन  को  सार्थक  करता  है   l