5 September 2021

WISDOM---------

  हमेशा  ख़तरा  अपनों  से  होता  है  ,   अपनों  के  विश्वासघात  के  कारण  ही   चाहे  परिवार  हो  समाज  हो  अथवा  राष्ट्र  हो  ,  उस  पर  मुसीबत  आती  है  l   जयचंद , मीरजाफर  जैसे   अपने  राष्ट्र  से  विश्वासघात   करने  वाले   भी  अनेक  हुए   जिनके  कारण  राष्ट्र  पर  मुसीबतें  आईं  l   इस  सत्य  को  समझाने   वाली  एक  कथा  है   ------   कुछ लकड़हारे  लकड़ी  काटने  के  लिए  जंगल   में  घूम  रहे  थे   l  वृक्षों  का  निरीक्षण   कर  रहे  थे  l   वृक्ष  दुःखी   हो  गए   l   उनने  एक  पुराने  वटवृक्ष  से  कहा  ---- " पितामह  !  अब  हमारा  क्या  होगा   ?  काट  डाला  जायेगा  l "  वटवृक्ष  ने  कहा ---- " तुम  चिंता  मत  करो  l   यह   हमारा  कुछ  भी  नहीं  बिगाड़   सकते   l   हम  इतने  मजबूत  हैं  की  ये  हमारा  कुछ  भी  नहीं  बिगाड़   सकते   l  "  कुछ  दिन  बाद  उनके   तम्बू  लग  गए   एवं  लोहे  की  कुल्हाड़ियाँ  आ  गईं  l   फिर  वे  चिंतित  हो  गए  , उन्होंने  वयोवृद्ध  वृक्ष    से  पूछा -- अब  क्या  होगा   ? '   बटवृक्ष  ने  कहा ----  " तब  तक  कुछ  नहीं  होगा  , जब  तक  हम  में  से   कोई  इनका  साथ   नहीं  देगा  ,  ये  हमारा  कुछ  नहीं  बिगाड़  सकते   l "    कुछ  ही  दिनों  बाद   पड़ोस  के  जंगल  से   पेड़  काटकर    उनके  हत्थे   कुल्हाड़ियों  में  लग  गए   ,  उनकी  धार  तीखी  की  जाने  लगी   l   वटवृक्ष  बोला ---- " अब  तो  ब्रह्मा  भी  आ  जाएँ   तो  हमें  बचाया  नहीं  जा  सकता   l   "  वृक्षों  ने  पूछा  ---- " क्यों  पितामह  ? "   वटवृक्ष  बोला  ----- " पहले  केवल  लकड़हारे  और  कुल्हाड़ी  थीं  ,  किन्तु  अब  हमारे  ही  कुल  का   पड़ोस  के  जंगल   काष्ठ   कुल्हाड़ी  का  बेंट  बनकर    हमारे  विनाश  का  सरंजाम   जुटा    रहा  है   l   हमेशा  खतरा  अपनों  से  ही  होता  है   l   इस  विश्वासघात  के  कारण  ही   हमारा  सर्वनाश  होने  जा  रहा  है   l "  कुछ  दिनों  बाद  जंगल  पूरी  तरह  काट  दिया  गया   l