10 March 2019

WISDOM ----- श्रेष्ठता का आधार -- सच्ची कर्तव्य निष्ठा है

   वर्ष  1576  राजस्थान  के  हल्दीघाटी   नामक  पर्वतीय  क्षेत्र  में   मुगलों  और  राजपूतों  की  सेना  में  भयंकर  युद्ध  हुआ   l  आमेर  के  राजा  मानसिंह   और  महाराणा  प्रताप   का  सगा  भाई  शक्तिसिंह  भी  मुगलों   का  ही  सहायक  था  l  इस  युद्ध  में  उनका  घोड़ा  चेतक  बुरी  तरह  घायल  हो  गया  था   फिर  भी  वह   अपने  स्वामी  को  उबड़- खाबड़  पहाड़ी  भूमि  में  तेजी  से  ले  जा  रहा  था   l   रास्ते  में  नदी  थी , बहुत  घायल  होने  पर  भी   चेतक  महाराणा  को  लेकर  नदी  के  उस  पार  पहुँच  गया  l   अभी   तक  युद्ध  की  तीव्रता  और  जोश  के  कारण  वह  घायल  होने  पर  भी  तीव्रता  से  दौड़ता  रहा  ,  पर  अब  महाराणा  के  नीचे  उतर  जाने  पर   उसका  शरीर  शिथिल  होकर  भूमि  पर  गिर  पड़ा   l  अपने  स्वामी  को  सुरक्षित  स्थान   में  पहुंचाकर  उनके  मुख  की  तरफ  देखते  हुए  उसने  प्राण  त्याग  दिए   l  अपनी  रक्षा  करने  वाले  चेतक  को  इस  तरह  परलोक  जाता  देख  प्रताप  का  ह्रदय  रो  उठा   l  उन्होंने  चेतक  के  मस्तक  को  अपनी  गोद  में  रख  लिया  l  महाराणा  प्रताप  की  देशभक्ति  और  कर्तव्य परायणता  के  साथ    उनके   घोड़े  की  अपूर्व  स्वामिभक्ति  देख  कर    शक्तिसिंह  का  भी  ह्रदय  परिवर्तन  हुआ  ,  उसने  अब  उनसे  लड़ने   की  बजाय  उनके  कदमों  में  अपना  मस्तक  रख  दिया   l  कुछ  दिन  बाद  राणा  ने   चेतक  के  प्राण  त्याग  करने  के  स्थान  पर  एक  स्तम्भ  बनवा  दिया   जो  अभी  तक  मौजूद  है   l
  अपना  कर्तव्य  इतनी    निष्ठा    के  साथ  पालन  करने  से    पशु  होते  हुए  भी   चेतक  का  नाम  इतिहास  में  अमर  हो  गया   l