पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी लिखते हैं ---- " शक्तिसम्पन्न , समर्थ - बलशाली होने से अधिक महत्वपूर्ण है सद्गुण संपन्न होना , क्योंकि सद्गुणों के अभाव में शक्ति के दुरूपयोग की संभावना हमेशा बनी रहती है l गुणहीन व्यक्तियों के पास जो भी शक्ति आती है , वो हमेशा उसका दुरूपयोग करते हैं , फिर यह शक्ति चाहे सामाजिक हो , राजनीतिक हो या फिर वैज्ञानिक अथवा आध्यात्मिक l " भौतिक विज्ञान में मनुष्य ने बहुत प्रगति की है लेकिन यदि यह शक्ति किसी गुणहीन , संवेदनहीन व्यक्ति के हाथ में आ जाये तो वह पूरी दुनिया को कब्रिस्तान बना सकता है l रावण कितना विद्वान् और शक्तिसम्पन्न था लेकिन अपने अहंकार के वशीभूत होकर उन शक्तियों का दुरूपयोग करता था और स्वयं को गर्व से असुरराज कहा करता था l रावण एक विचार है , जब धन - वैभव और शक्ति के मद में लोगों की बुद्धि दुर्बुद्धि में बदल जाती है , उन्हें करने के लिए कोई सकारात्मक कार्य नजर ही नहीं आता तब वे मानवता को कष्ट पहुँचाने वाले , प्रकृति और पर्यावरण को नष्ट करने वाले कार्य कर के ही अपने जीवन को धन्य समझते हैं l ईश्वर ने प्राणीमात्र के लिए अनेक योनियां निश्चित की हैं , अब चयन करना व्यक्ति के हाथ में है , मनुष्य ही अपने कर्मों द्वारा अपने लिए चयन करता है कि उसे मनुष्य बनना है , पशु - पक्षी , कीट -पतंगे अथवा पिशाच l
25 February 2022
WISDOM ------
मनुष्य धन से नहीं मन से अमीर होता है ---- एक फकीर को एक स्वर्ण मुद्रा मिली , उसने निश्चय किया कि जो सबसे गरीब होगा , उसे ही मैं यह स्वर्ण मुद्रा दूँगा l एक दिन उसे पता लगा कि उसके देश का राजा एक छोटे पड़ोसी देश पर आक्रमण करने जा रहा है l फ़क़ीर के मन में कोई लालच व अहंकार नहीं था इसलिए उसे उस स्वर्ण मुद्रा की जरुरत भी नहीं थी l फकीर बहुत दूर पैदल चलकर राजमहल तक गया और वह स्वर्ण मुद्रा राजा को दे दी l राजा ने इसका कारण पूछा तो फ़क़ीर बोला ---- " मैंने इस स्वर्ण मुद्रा को सबसे गरीब व्यक्ति को देने का निश्चय किया , इसलिए आपको दे दी l यह गरीबी को दूर करने में कुछ सहायक होगी l " राजा बोला ----- " मेरे पास धन , विशाल सेना , राज - वैभव सब है , अमूल्य हीरे = जवाहरात भी हैं , फिर मैं सबसे गरीब कैसे हुआ ? " फ़क़ीर बोला ---- " इतना सब होते हुए भी आप अपने से कमजोर राष्ट्र पर आक्रमण कर रहे हैं , निर्दोष लोगों को जान - माल से बेघर कर रहे हैं , फिर आप से गरीब इस संसार में और कौन होगा ? " यह सुनकर राजा को अपनी भूल का एहसास हुआ l